समय की छाती पर हस्ताक्षर है 'कथा संवाद' जैसे कार्यक्रम - ध्रुव गुप्त

विशेष संवाददाता 

  गाजियाबाद। 'कथा रंग' के 'कथा संवाद' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार ध्रुव गुप्त ने कहा कि यह तसल्ली की बात है कि लेखकों की नई पौध तैयार हो रही है। उन्होंने कहा कि इससे बेहतर और क्या हो सकता है जहां हर वय का व्यक्ति अपनी रचनात्मकता को संवार रहा है। श्री गुप्त ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम जहां भविष्य के लिए नई संभावनाएं जगाते हैं, वहीं मौजूदा समय की छाती पर हस्ताक्षर भी दर्ज करते हैं। कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री गुप्त ने कहा कि इस दौर में अच्छी कहानियां लिखी जा रही हैं, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि वह पढ़ी नहीं जा रही हैं। पढ़ने का प्रवाह बनाए रखना भी एक कला है। उन्होंने कहा कि 'कथा संवाद' जैसे आयोजन की यह उपलब्धि है कि यहां नवांकुरों को लेखन के लिए प्रोत्साहित करने के साथ उनकी वाचन कला को भी समृद्ध किया जाता है। श्री गुप्त ने मंच से घोषणा की कि वह "कथा रंग" की इस परंपरा को पटना में भी शुरू करेंगे।

  होटल रेडबरी में आयोजित 'कथा संवाद' की मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. रख़्शंदा रूही मेहदी ने कहा कि कहानी लिखना आसान नहीं है। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के एक शेर 'मता ए लौह ओ  कलम छिन गई तो क्या गम है, खून ए दिल में डुबों ली हैं उंगलियां मैंने' का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आपके पास स्याही या कागज न भी हो तो भी लिखने की जिजीविषा आपको अपने रक्त से ही लिखने के लिए प्रेरित करती है। लेखन के प्रति यही समर्पण लेखन को उत्कृष्ट बनता है। उनकी कहानी 'कितने झूठे थे' की भरपूर सराहना हुई। 'कितने झूठे थे' भावुकता में डूबी हुई एक ऐसी प्रेम कथा है जिसमें प्रेमी चार दशक लंबे अंतराल के बाद एक दूसरे के निकट आते हैं। 

  कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि व अपर पुलिस आयुक्त रवि कुमार सिंह ने कहा कि कहानी लिखना एक दुरूह कार्य है। महज किसी घटना या विचार के बूते आप कहानी नहीं लिख सकते। 'कथा संवाद' जैसे मंच कहानी लिखने और उसके वाचन का सलीका सीखाते हैं। संयोजक सुभाष चंदर ने कहा कि रचना प्रक्रिया से पहले गुनना और बुनना बहुत आवश्यक है। लिखने की पहली और आवश्यक शर्त पढ़ना है। उन्होंने कहा कि लेखन स्वेटर बुनने जैसा कार्य है। जिसमें विचार, कथ्य, संवाद और कल्पनाशीलता के फंदे बुनने पड़ते हैं। आयोजक आलोक यात्री ने कहा कि लिखने के प्रति उत्साहित लोग अपने ही लेखन में इसलिए उलझ या भटक जाते हैं, क्योंकि उन्होंने इतना नहीं पढ़ा होता जितना लेखन में मार्गदर्शन के लिए आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन रिंकल शर्मा ने किया। कहानी वाचन के लिए टेकचंद को विशेष रूप से सराहा गया। उन्होंने विपिन जैन की कहानी का पाठ किया। 

  इस अवसर पर विपिन जैन, शकील अहमद शैफ, नेहा वैद, प्रताप सिंह, गीता रस्तोगी, मनु लक्ष्मी मिश्रा और शिवराज सिंह की कहानियों पर लंबा विमर्श हुआ। विमर्श में योगेंद्र दत्त शर्मा, सुरेंद्र सिंघल, वंदना वाजपेयी, सिनीवाली शर्मा, डॉ. तारा गुप्ता, डॉ, बीना शर्मा, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, सत्यनारायण शर्मा, वागीश शर्मा, सीमा सिंह सिकंदर, रश्मि वर्मा, कीर्ति रतन, सिमरन व के. के. जायसवाल सहित बड़ी संख्या में लोगों ने विमर्श में हिस्सा लिया। इस अवसर पर अशोक श्रीवास्तव, सुशील शर्मा, अविनाश शर्मा, प्रभात कुमार, ईश्वर सिंह तेवतिया, रेनू अंशुल, अंशुल अग्रवाल, शिल्पी अग्रवाल, देवेंद्र देव, पराग कौशिक, अनिल सिन्हा, डॉ. प्रीति कौशिक, अभिषेक कौशिक, रविंद्र कुमार, वीरेंद्र कुमार तिवारी, अजय मित्तल, शशिकांत भारद्वाज, विशाल झा, आनंद कुमार,निरंजन शर्मा व अभिषेक भारत सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।