मुरादनगर, 10 जुलाई।स्थानीय सतलोक आश्रम के श्री हंस इंटरमीडिएट कॉलेज मैदान में गुरु पूजा महोत्सव पर मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में दो दिवसीय सत्संग समारोह के अंतिम दिन आध्यात्मिक गुरु श्री सतपाल जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि
हम प्रार्थना करते हैं कि हमारा भारत और आगे बढ़े विश्व गुरु बने, सारे संसार को दिशा देने वाला बने। इसके लिए हमें अध्यात्मवादी होना होगा। जब देश में अध्यात्म ज्ञान का प्रचार होगा तब भारत दुनिया को दिशा देगा और हमारा भारत विश्व गुरु बनेगा।
श्री महाराज जी ने आगे कहा कि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है कि मैं सतगुरु महाराज की वंदना करता हूं जिनके वचन रवि की करनी करते हैं, रवि की करनी क्या है, प्रकाश करना, अंधकार को दूर करना, जैसे सूर्य उदय होते ही अंधकार दूर हो जाता है, ठीक वैसे ही जो गुरु अंधकार से प्रकाश में ले जाए वह गुरु होता है, सद्गुरु होता है। तो सदगुरु महाराज वह ज्ञान देते हैं जिससे व्यक्ति के अंदर परम प्रकाश का अनुभव होता है। उस परम प्रकाश के अनुभव के लिए ना दीपक की जरूरत है, ना किसी बत्ती की, ना सूरज की, ना चंद्रमा की जरूरत है, वह स्वयमेव प्रकाश है। यह अनुभव सदगुरु महाराज कराते हैं। इसलिए सद्गुरु महाराज की वन्दना की जाती है।
समिति द्वारा प्रतिवर्ष की भाति इस वर्ष भी वृक्षारोपण पखवाड़ा 5 से 20 जूलाई तक वृक्षारोपण महाभियान के दौरान श्री सतपाल महाराज ने सतलोक आश्रम परिसर में वृक्षारोपण करते हुए कहा कि हमलोग गुरुपूजा पर्व मना रहें है, इसलिए एक वृक्ष गुरु के नाम से भी लगाए, साथ ही साथ एक वृक्ष अपने माता-पिता के नाम से लगाएं। जितना अधिक वृक्ष लगाएंगे, उतना ग्रीन रिवोलुशन बढ़ेगा और वातावरण में कार्बन रेटिंग कम होगी। महाराज श्री ने कहा कि हमें ऐसे वृक्ष लगाने चाहिए, जिससे आक्सीजन के साथ-साथ आर्थिक सम्पन्नता भी मिले, इसी के साथ सभी देशवासियों को अधिक से अधिक वृक्ष लगाने की प्रेरणा दी।
श्री विभु जी महाराज ने कहा कि हर मानव शांति व देश का उत्थान चाहता है तो अध्यात्म से जुड़कर ही एक स्वस्थ समाज, स्वस्थ देश का नवनिर्माण संभव है। अगर हम परमात्मा की माया को चाहते हैं तो हमारा जीवन उलझ जाएगा। जिस लक्ष्य के लिए परमात्मा ने मानव शरीर दिया था, उस मार्ग से हम भटक जाएंगे। एक बार अगर मार्ग से भटक गए और भौतिक संसाधनों संसाधनों को एकत्र करने में जुट गए तो सारा जीवन उसी में लग जाएगा और स्वासों की प्रक्रिया को हम भूल जाएंगे। इसलिए सहज, सरल स्वभाव में रहते हुए भगवान का ध्यान व भजन - सुमिरण करें, जिससे यह जीवन सुख में हो और इहलोक और परलोक दोनों संवर जाए।
समारोह के प्रारम्भ में श्री महाराज जी, पूज्य माता श्री अमृता जी सहित अन्य विभूतियों का माल्यापर्ण कर स्वागत किया गया। इस पावन अवसर पर संगीत मंच द्वारा गुरु भक्ति से ओत-प्रोत अनेक भजन गाये गए। मंच संचालन डॉ.संतोष यादव जी ने किया।