देश के पुनर्निर्माण में संस्कृत छात्रों को भी दूत बनना होगा - कुलपति प्रो. वरखेड़ी

नई दिल्ली। केन्द्रीय संस्कृत  विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में ध्वज फहराने के बाद  विश्वविद्यालय के सारस्वत सभागार में छात्रों, संकाय सदस्यों ,अधिकारियों तथा  कर्मचारियों को अध्यक्ष के रुप में संबोधित करते हुए  कहा कि  देश के पुनर्निर्माण में संस्कृत छात्र- छात्राओं तथा  अनुरागियों को भी बढ़ चढ़ कर  दूत के रुप में आगे आना होगा । इसका बहुत बड़ा कारण यह भी है कि इस  विश्वविद्यालय को  भी राष्ट्र के विकाश में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है  ।ध्यान रहे  माननीय  प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी  ने राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए कटिबद्ध हैं और उनके  साथ समूचा देश एकजूट होकर खड़ा  है  । कुलपति ने  यह भी कहा कि  इस देश में किसी तरह का कोई भेद भाव  नहीं किया जाता । पिछले महीने राष्ट्रपति का निर्वाचन परिणाम  इसका जीवन्त प्रमाण है । 

        अतः देश के पुनर्निर्माण तथा शहीदों और वीरांगनाओं के सपने जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन देश के लिए न्योछावर कर दिया था ,उनके सपनों को साकार करने के लिए संस्कृत के छात्र -छात्राओं की भी आगे आकर  महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी । प्राध्यापकों  को सिर्फ़ शब्दाचार नहीं करना होगा , बल्कि अपने जीवन में उसको ढाल कर  छात्र-  छात्राओं को मार्गदर्शन देना होगा क्योंकि इस केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का लक्ष्य शास्त्र रक्षा के साथ संस्कृत भाषा का भी प्रचार -  प्रसार  करना है । शास्त्र तथा शस्त्र रक्षा से ही राष्ट्र सुरक्षित होता है ।उनका यह भी मानना था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2022 के अनुसार यह नया अवसर आ गया कि  शिक्षक - छात्र मिल कर शास्त्र के नये प्रतिमानों की खोज कर के संस्कृत के लोक उपयोग को विश्व के सामने लायें । संस्कृत भाषा भारत के अन्य भाषाओं के साथ राष्ट्र की एकता को पूरा प्रश्रय दें और संस्कृत को भारत की शिक्षा की मुख्य धारा  से जोड़ने को हर संभव प्रयास किया जाय  ।

कुलपति इस अवसर पर यह भी कहा कि  केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की उन्नति इसी में है कि  इसके सभी  परिसरों, संबंद्ध आदर्श महाविद्यालयों तथा संस्थाओं का सर्वांगीण विकास  हो । इस विश्वविद्यालय की आत्मा  मुख्यालय(दिल्ली)  तो है। लेकिन इसकी  इस आत्मा की देह रुपी अंग यही शैक्षणिक संस्थाएं  हैं ।यह विश्वविद्यालय देश का सबसे बड़ा संस्कृत विश्वविद्यालय है । अतः इसमें देश की समग्र  शिक्षा की छवि उभरनी  चाहिए ।कुलपति ने विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को 'कर्मऋषि' की उपाधि देते उनसे यह भी आग्रह किया कि  वे अवकाश के समय संस्कृत संभाषण का प्रत्येक दिन अभ्यास करें और इस दिशा में भी प्रयास करें कि संस्कृत को कार्यालय स्तर पर धीरे धीरे प्रयोग में कैसे  लाया जा सकता है  ? उन्होंने  एल्युमिनाई के नामों को  जुटाने का हर संभव प्रयास पर  भी बल दिया ।   

         विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर तोष जताते कुलपति वरखेड़ी  ने कहा कि यहां   नयी  नियुक्तियां  हो रहीं हैं, विश्वविद्यालय की प्रकृति के अनुरूप स्थानान्तरण के नये  नियम भी  बनाये गये  हैं । आई. टी. को भी संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जा रहा है ।साथ ही साथ संविदा तथा अतिथि प्राध्यापकों के पदनाम बदल कर उनके वेतनमानों  में भी परिवर्तन किया गया है  । संस्कृत को व्यापक स्तर पर प्रसारित करने के लिए विश्वविद्यालय ने इग्नू से एम .ओ . यू . भी किया है ।एनटीए के माध्यम से नामांकन के लिए परीक्षा हो रही  है ।परीक्षा विभाग ने छात्रहित में अनेक सार्थक कदम उठाये हैं । छात्रवृत्ति को भी समय पर भुगतान करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है । पीएचडी  उपाधि पाने के लिए अभी भी औन लाईन साक्षात्कार की व्यवस्था है ।साथ ही साथ नूतन योजना, आदर्श महाविद्यालयों के लिए नियमावली को  भी संशोधित किये गये हैं। 

इसके अलावा उन्होंने विश्वविद्यालय के भावी योजनाओं की भी बात कही और बताया  कि अब  ' एक शिक्षक एक परियोजना ' के अन्तर्गत सभी प्राध्यापकों को परियोजना का काम कर  पाण्डुलिपी विज्ञान शोध पर बल देना अपेक्षित होगा  ,मुक अध्ययन से जुडी़  तथा नव पाठ्यक्रम सामग्री का निर्माण करना भी इस दिशा में सार्थक कदम होगा । साथ ही साथ  समसामयिक विषयों को संस्कृत भाषा में प्रसारित करने से संस्कृत भाषा को बल मिलेगा । विश्वविद्यालय  ने अमृत महोत्सव ग्रन्थमाला  की योजना का आरंभ करने वाला  है जिसके अन्तर्गत  महत्त्वपूर्ण विषयों पर शोध कार्यों  तथा उनके ग्रन्थों को  प्रकाशित करने  के लिए   प्रोत्ससाहन किया   जाएगा  । इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय के लिए दान पेटिका संचय राशि संग्रहण पर भी बल दिया ।

         कुलसचिव प्रो रणजित कुमार बर्मन ने आशा जताया कि यशस्वी कुलपति   प्रो वरखेड़ी जी के मार्गदर्शन में यह विश्वविद्यालय सफलता के उत्कर्ष पर पहुंचेगा । ओएसडी प्रो कुलदीप शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा परीक्षा नियंत्रक प्रो पवन कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। राष्ट्रीय गान के साथ समारोह का समापन हुआ । यह जानकारी डॉ अजय कुमार मिश्रा, प्रभारी जान संपर्क अधिकारी , केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली ने दी।