सतपाल महाराज ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से सिचाईं योजनाओं के लिए धनराशि की मांग की

नई दिल्ली/देहरादून। उत्तराखंड के सिचाईं , पर्यटन, एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने नई दिल्ली में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से भेंट कर उत्तराखंड के लिए स्वीकृत सिचाईं योजनाओं के लिए धनराशि की मांग करने के साथ साथ बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम एवं त्वरित सिचाईं लाभ कार्यक्रम के माध्यम से केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता के लिए उनका आभार जताया।
उत्तराखण्ड सिचाईं, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने गजेन्द्र सिंह शेखावत मा0 मंत्री, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार से भेंट कर उनसे बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम एफ0एम0पी0 12 सं0 योजनाओं के लिए 29.52 करोड़ एआईबीपी 32 सं0 योजनाओं के लिए 77.41 करोड़ दोनों योजनाओं की कुल राशि 106.93 करोड़ की मांग की गयी। 
महाराज जी ने स्वीकृति हेतु नई योजनाओं में बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम एफएमपी 59 सं0 के लिए 1582.89 करोड़ एवं जल संचयन व संवर्द्धन बैराज/जलाशय/झील निर्माण निर्माण 14 सं0 योजनाओं के लिए 2170.70 करोड़ दोनों की कुल राशि 3753.59 करोड़ की मांग की है।
महाराज जी ने बताया कि लघु सिचाईं विभाग के लिए प्रस्तावित नई योजना पी0एम0के0एस0वाई0 हर खेत को पानी 422 सं0 योजनाओं के लिए 349.39 व पी0एम0के0एस0वाई भूजल 4 सं0 योजना के लिए 16.44 करोड़ दोनों योजनाओं के लिए कुल 365.83 करोड़ रूपये की मांग की।
सतपाल महाराज ने कहा कि गजेन्द्र सिंह शेखावत मंत्री, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार ने सभी प्रस्तावित योजनाओं के लिए आश्वासन दिया है। साथ उन्होने भारत सरकार से हर संभव मदद का भरोसा दिया है।
महाराज जी ने केंद्रीय जल मंत्री को बताया कि उत्तराखण्ड राज्य देवभूमि होने के साथ-साथ अति महत्वपूर्ण नदियों गंगा एवं यमुना का उद्गम स्थल भी है, परन्तु इसके अधिकांश भू-भाग की प्रकृति पर्वतीय है एवं इसे प्रतिवर्ष विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं यथा बाढ़, अतिवृष्टि, बादल फटना आदि से जूझना पड़ता है। राज्य सरकार अपने अति सीमित संसाधनों से बाढ़ सुरक्षा एवं प्रबंधन कार्य कराने का भरसक प्रयास करती है। उन्होने कहा कि हम भारत सरकार के आभारी हैं कि वह उपरोक्त कार्यों हेतु विशेष पैकेज के अन्तर्गत बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम एवं त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के माध्यम से राज्य सरकार की सहायता कर रही है। महाराज जी ने कहा है कि उनका हर संभव प्रयास है कि उत्तराखण्ड आये प्रवासियों को बिल्कुल भी पानी की कमी न होने पाये। प्रदेश के हर खेत को पानी मिले इसके लिए उनका प्रयास जारी रहेगा।