जब ईश्वर ने था मुझे जमीं पर उतारा,
अकेला था मैं यहां, बिल्कुल अकेला,
मैने कहा "भगवन मुझे दो कोई साथी निराला।
तब विधाता ने मेरे लिए तुझे था बनाया,
बड़ा खुश था मैं जब तुझे जमीं पर लाया।
मैने ही तुझको खिलाया, पिलाया और पाला,
अपनी बाहों के झूले में था तुझको झुलाया।
पर बड़ा होने पर तू बहुत भरमाया,
मेरा ही साथ तुझको रास न आया।
अपने आशियाने की खातिर
तू मेरी बाहें काट लाया,
अपने बढ़ते कुनबे की खातिर,
तूने मेरा कुनबा मिटाया।
अपने स्वार्थ में तूने मुझे मिटा डाला,
पर मूर्ख तू इतना भी न समझ पाया,
मेरे बिना क्या तू जिंदा रह पाएगा?
कहां से तू अपनी प्राण वायु लाएगा?
बिन मेरे तो तू धरा से जा भी न पाएगा,
जलूंगा जब मैं संग तेरे तभी तू मुक्ति पाएगा।
इतने पौधरोपण करने के बाद भी हरियाली नहीं दिखती। हवा साफ नहीं होती, प्रदूषण कम नहीं होता।क्योंकि हम पेड़ लगाते हैं, फोटो खिंचवाते हैं, और फिर उनको भूल जाते हैं। उनकी देखभाल नहीं करते ,पालना नहीं करते इसलिए पौधे मर जाते हैं।आप सभी से अनुरोध हैं कि अपने कार्यस्थल या आवासीय स्थल पर ही पौधे लगाएं और व्यस्त समय से कुछ समय निकाल कर उनकी देखभाल करें, पानी दें, उनके साथ समय बिताए और अपने परिवार के बच्चों के जैसे उनकी पालना भी करें, तभी वो जीवित रहेंगे और हमें हरा भरा वातावरण देंगे। प्रकृति के साथ अपने संबंध को पहचाने, अपने अस्तित्व को बचाए रखना हैं तो प्रकृति को साफ, स्वच्छ और हरा भरा रखना जरूरी हैं।
सीमा त्यागी