भगवान का सच्चा नाम सद्गुरु की शरण में जाकर प्राप्त होता है- महात्मा रामधनियानंद जी

गाजियाबाद (पवन शर्मा)। लोनी क्षेत्र के चिरोड़ी गांव में शाखा प्रेमपुरी आश्रम द्वारा श्रीमती रीना पाल धर्मपत्नी श्री प्रदीप कुमार जी के निवास साथ पर छोटे पुत्र गगन के जन्मदिवस पर सत्संग कीर्तन व भंडारे प्रसाद का आयोजन किया गया।

जिसमें मानव उत्थान सेवा समिति के संस्थापक एवं सुविख्यात श्री सतपाल महाराज जी के परम शिष्य महात्मा श्री रामधनियांनद जी मुख्य अतिथि के रूप में पधारे तथा पूज्य महात्मा जी का मलार्पण स्वागत मांगेराम जी, कुँवर पाल जी, प्रदीप कुमार जी, ब्रह्मपाल जी, अमरपाल जी, राजकुमार जी, श्रीमती राजबती, श्रीमती राजन देवी, श्रीमती शिक्षा देवी, श्रीमती रीना पाल व श्रीमती शारदा देवी ने किया।

सत्संग में उपस्थित सभी श्रद्धलुओं ने जन्मदिन की बधाइयां व सुंदर सुंदर भजन गा कर आनंद लिया। तत्पश्चात पूज्य महात्मा जी ने बालक गगन को माथे पर तिलक लगा कर व हाथ में कलावा बाँध कर बच्चे और  माता-पिता को आशीर्वाद दिया। तथा बच्चे को जन्मदिन बधाई गा कर शुभकामनाएं देते हुए परमपिता परमात्मा से उज्वल भविष्य की कामना की। इसी कड़ी में महात्मा जी ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए सत्संग परारम्भ किया। और सत्संग के माध्यम से सभी प्रेमी भक्तों को समझाया कि, आज जो संसार मे तेरा मेरी चल रही है, आज सबने देखा होगा कि, जमीन,रुपयों के लिए भाई-भाई की हत्या कर देते है। आज हमारे अंदर एक राम राज्य जैसी भावना होनी चाहिए। आज कल हर आदमी की जिंदगी में ऐसा ही हो रहा है। झूठ को बहुत बार दोहराए जाने पर वह धीरे-धीरे अपनी जड़ जमा लेता है, जब जमी हुई जड़ों पर दूसरे भी भरोसा करने लग जाते हैं, सत्य अलग होकर छुपा रहता है। तभी सतगुरु हमें स्वयं के अध्ययन में उतरने की शिक्षा देते हैं, अपने स्वाध्याय के लिए भजन ध्यान से जोड़ते हैं। व अपने ही झूठों के कर्मजाल में जब उतर कर देखोगे, यह आभास होते ही कर्मजाल की इस दलदल से तुम पार हो जाओगे। उससे आगे तुम्हें स्वच्छ आनन्द सरोवर मिलेगा, वहां पर सतगुरु तुम्हारा हाथ पकड़ कर नैया को किनारे लगा देंगे। आज इसी समय यानी दुख की घड़ी में भगवान को सब याद कर रहे है। कहते है, कि दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोए, जो सुख में सुमिरन करे तो, दुख काहे को होए। जो ब्यक्ति अपने अंदर धारणा बना करके यही रखता है। कि सुख में भी भजन करता है। उस परम पिता परमात्मा को याद करता है। उसके साथ कभी भी कोई बुरा नही होता है। मगर जो कोई सुख होते हुए भी ईश्वर का भजन नही करता है। तो उसके ऊपर किसी न किसी प्रकार से दुख ही दुख आ जाता है। इसी प्रकार भगवान को पाने के लिए उस परमात्मा को देखने के लिए आत्म का ज्ञान होना जरूरी है। इसी के साथ पूज्य महात्मा जी सत्संग प्रवचन के पश्चात आरती शुरु कर प्रोग्राम का समापन किया। और सभी लोगो ने भंडारा  प्रसाद घृण किया।

कार्यक्रम में मंच संचालन संस्था के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री मदन पाल जी ने किया। तथा प्रोग्राम को सफल बनाने में मानव सेवा दल से श्रीमती संगीता पाल, श्रीमती राजबती देवी, श्रीमती शारदा देवी, श्रीमती तुलसा देवी, श्रीमती पिंकी, श्रीमती शिक्षा देवी, श्रीमती कृष्णा देवी, श्रीमती कान्ता देवी, श्रीमती उषा देवी, श्रीमती नीरज चौधरी व पुरुषों में ब्राह्मपाल जी, बजरंगी जी, पुनीत चौधरी, मोहित कसाना, चिंटू कौशिक, दुर्वेश आदि लोगों ने सहयोग किया।