आरटीई के दाखिले कराना सरकार और अधिकारियों के लिये साबित हुआ "टेढ़ी खीर" - सीमा त्यागी

गाज़ियाबाद। गरीब बच्चो को शिक्षा का अधिकार मुहैया कराने के लिए बना निःशुल्क एवम बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का पालन निजी स्कूलों से कराना उत्तर प्रदेश सरकार और उनके अधिकारियों के लिये "टेढ़ी खीर" साबित हो रहा है, क्योंकि जहाँ प्रदेश में आरटीई के दाखिलों का आंकड़ा 50% को भी नही छू पाया, वही गाजियाबाद जैसे जिले में इस वर्ष 2500 से ज्यादा बच्चे दाखिले से वंचित रह गये। 

हालांकि की गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के अथक प्रयासों से उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद जिला पहले स्थान पर रहा जहाँ हम 3500 से ज्यादा यानी 50% से ज्यादा आरटीई के बच्चों के दाखिले कराने में सफल रहे। हालांकि ये आंकड़े  अधिकारियों के लिए तो संतोषजनक हो सकते है लेकिन हमारे लिये नही क्योकि हमारा लक्ष्य था। इस बार आरटीई के शत प्रतिशत दाखिले स्कूलो में सुनिश्चित कराना । लेकिन अधिकारियों और मंत्री द्वारा आरटीई के दाखिले नही लेने वाले स्कूलो पर कार्यवाई नही करना शत प्रतिशत दाखिलों के आंकड़ों को हासिल करने में सबसे बड़ी बाधा बनी । प्रदेश के बड़े मंत्री असीम अरुण द्वारा जिले के अधिकारियों के साथ आरटीई के दाखिलों के लिए दो बड़ी मीटिंग की गई एक मीटिंग तो अभी कुछ दिन पहले ही कि गई जिसमें स्कूल मैनेजमेंट के शीर्ष पदाधिकारियों ने जाना ही मुनासिब नही समझा और मंत्री जी ऐसे स्कूलो पर भी कार्यवाई नही करवा पाये पूरे साल मंत्री और अधिकारियों द्वारा नोटिस और चेतावनी की आंख मिचौली खेली जाती रही लेकिन जब बात स्कूलो पर कार्यवाई की आई तो एक बड़ी चुप्पी जिले में 2500 से ज्यादा बच्चों के शिक्षा के अधिकार को लील गई। अब 20 जनवरी से शिक्षा सत्र 2024-25 में आरटीई के ऑनलाइन आवेदन के लिये नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है में उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी से निवेदन करती हूँ कि इस बार प्रदेश में शत प्रतिशत आरटीई के दाखिले कराने के लिए अधिकारियों को निर्देशित करे और जो अधिकारी अपने जिलों में शत प्रतिशत दाखिले कराने में असफल हो उन पर सख्त कार्यवाई का प्रवधान करे तभी आरटीई अधिनियम 2009 की सार्थकता प्रदेश के गरीब बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने में वरदान साबित हो सकती है।