भूली बिसरी यादें
गाजियाबाद। पूर्व मंत्री रामबीर उपाध्याय अब नहीं हैं । उनका निवास पटेल नगर द्वितीय में है और शुरू से उनका कार्य क्षेत्र भी गाजियाबाद ही रहा है। कभी उनकी लोकल बसें चला करती थी। गाजियाबाद के विधायक रहे के.के. शर्मा के निवास की फोन लिस्ट में तो जब वह बसपा सरकार में मंत्री बन गए तब भी *रामबीर उपाध्याय बस वाले* ही लिखा रहा। कभी वह बसपा सुप्रीमो मायावती के बहुत करीबी थे।
हाथरस से वह विधायक रहे और उनकी पत्नी भी जनप्रतिनिधि रहीं। शुरुआत में मायावती के शासनकाल में जब वह परिवहन मंत्री बने तो अम्बेडकर रोड स्थित शिप्रा होटल के सभागार में वह गाजियाबाद जर्नलिस्ट्स क्लब द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में शामिल हुए। वार्ता के बीच में स्थानीय दैनिक जन समावेश के सम्पादक रवि अरोड़ा ने उन पर पटेल नगर द्वितीय स्थित अपने आवास की सडक अपने निवास के पास कब्जा करने का आरोप लगा दिया। जिस पर वह उत्तेजित हो गये थे तथा तत्काल मंच से खडे होकर उन्होंने अपने स्टाफ को रोडवेज बस अड्डे से बसें मंगाने को कहा ।ताकि सभी पत्रकार उनके साथ जाकर मौका मुआयना कर सकें। फिर उन्होंने स्पष्ट भी कर दिया कि उन्होंने वहां कोई स्थायी कब्जा नहीं किया है। आवास के पास सिक्योरिटी के उद्देश्य से अस्थायी अवरोध लगाये गये हैं। पत्रकारों के अनुरोध पर वह शांत हो गये । प्रेस वार्ता की समाप्ति तक वह शांत बैठे रहे और पत्रकारों के सभी सवालों का उन्होंने जवाब दिया।यह चित्र उसी समय का है। चित्र में मेरे(सुशील कुमार शर्मा के) साथ गाजियाबाद के मेयर रहे तेलूराम कांबोज (जो उस समय एक स्थानीय दैनिक के सम्पादक थे ) तथा दैनिक नवभारत टाइम्स के तत्कालीन गाजियाबाद ब्यूरो चीफ राकेश पाराशर उन्हें संस्था की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान करते हुए।