काव्य के मूल में न्याय की चिंता होती है - प्रो बजरंग

 गाजियाबाद। हापुड़ रोड स्थित पंचशील प्रिमरोज सोसॉयटी में अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान की काव्य गोष्ठी संपन्न हुई।गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि भक्तिकालीन काव्य के गंभीर अध्येता एवं दलित साहित्य के प्रखर आलोचक प्रो बजरंग बिहारी तिवारी ने अपने सारगर्भित संबोधन के दौरान कहा-"कवि कर्म कठिन है। इसके लिए अपने पुरखे कवियों को पढ़ना-समझना पड़ता है, अपने समकालीनों का अध्ययन करना पड़ता है। साथ ही जीवन को प्रभावित करने वाले अन्य शास्त्रों, अनुशासनों का अनुशीलन भी अपेक्षित होता है।

क्रौंच वध और आदिकवि वाल्मीकि के संदर्भ से बजरंग बिहारी ने कहा कि कवि उसकी रुलाई सुन पाता है जिसे कोई अन्य नहीं सुन सकता।

उन्नीसवीं सदी के अंग्रेजी आलोचक मैथ्यू आर्नाल्ड को उद्धृत करते हुए वक्ता ने कहा कि मनुष्यता को बचाने का जिम्मा साहित्य का है। 

 कवि कविता क्यों रचता है? बजरंग जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि कविता लिखने के पीछे अमरता की आकांक्षा निहित है। राजाओं, सेनापतियों, सेठों को समाज भुला देता है लेकिन कवियों को याद रखता है।

जायसी के हवाले से उन्होंने कहा कि जो कवि अपने रक्त के गारे से शब्दों को जोड़कर कविता बनाते हैं, आंसुओं से उसे सींचते हैं लोक उसी को याद रखता है।

   गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे चर्चित कवि एवं आजकल पत्रिका के प्रधान संपादक राकेशरेणु ने किसानों की पीड़ा बयान करते हुए कहा- 

वे धरती की तरह स्थिर हैं

धरती की तरह शांत, नम, उर्वर 

और धरती की तरह ही ठोस

तुम्हारे पत्थरों को वे सहर्ष स्वीकारेंगे 

तुम्हारी गालियाँ भी 

और उनकी कोशिश होगी कि 

पत्थर हों या गालियाँ 

या सड़ी-गली कोई और चीज 

उसी को खाद बना 

नई फसल, नवान्न देंगे तुम्हें।

गोष्ठी में प्रसिद्ध चित्रकार एवं कथाकार राज कमल ने अपनी कुछ पुरानी कविताएँ सुनाई।उन्होंने कहा कि-कंटेंट अपना कला माध्यम या फ़ॉर्मेट खुद ही तय कर लेता है।बस आप को उस फ़ॉर्मेट के अनुशासन का ज्ञान होना चाहिए। 

   चर्चित कवि-कथाकार एवं विदेशी साहित्य के अनुवादक श्री विलास सिंहं ने युद्ध पर एक कविता सुनाकर श्रोताओं की संवेदनाओं को गहरे तलों तक स्पर्श किया।

इनके अतिरिक्त विष्णु सक्सेना, सीताराम अग्रवाल, रमेश कुमार भदौरिया, नीरज कुमार मिश्र, प्रवीण कुमार एवं युवा कवयित्री दिव्या तिवारी ने अपनी-अपनी रचनाओं को साझा किया।

  गरिमा कुमार की सरस्वती वंदना से गोष्ठी आरंभ हुई।संचालन संस्थान के महासचिव प्रवीण कुमार ने किया।इस अवसर पर परिंदे पत्रिका के संपादक ठाकुर प्रसाद चौबे, लोकमित्र प्रकाशन संस्थान के संचालक आलोक शर्मा, नवग्रह टाइम्स के मुख्य संपादक सैय्यद अली मेंहदी, वरिष्ठ पत्रकार अमरेन्द्र राय, मीनू कुमार, गरिमा कुमार एवं कुमार आर्यन भी उपस्थित रहे।