मंदिर से हिंदुओं को धर्मशिक्षा मिलनी चाहिए – पू. डॉ. पवन सिन्हा गुरुजी

वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव

 ग़ाज़ियाबाद। मंदिर के पुजारियों का धर्म केवल लोगों को तिलक लगाने तक सीमित नहीं है। उनसे अपेक्षित है कि वे हिंदुओं को धर्म की शिक्षा दें। इससे हिंदुओं का धर्माभिमान बढ़ेगा, उनका मनोबल ऊंचा होगा और वे सभी संगठित होंगे। वर्तमान समय में हिंदू धर्म के प्रति नास्तिकों द्वारा दुष्प्रचार किया जाता है। उस दुष्प्रचार को खारिज करने के लिए पुजारियों से शास्त्रों का प्रामाणिक ज्ञान प्राप्त होना आवश्यक है। *यह मार्गदर्शन पावन चिंतन धारा आश्रम, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के पू. डॉ. पवन सिन्हा ' गुरुजी' ने 'वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव' मे किया।* वे 'मंदिर संस्कृति के पुनरुद्धार के लिए आवश्यक प्रयास' इस विषय पर बोल रहे थे।

मंदिरों की स्वच्छता आवश्यक है

पू.  डॉ पवन सिन्हा गुरुजी ने कहा, "मंदिरों का वैभव नष्ट न हो, इसके लिए प्रयास आवश्यक हैं। मंदिरों के कारण भक्त के जीवन में परिवर्तन होता है। वहाँ जाने के लिए कुछ नियम होने चाहिए। हम मंदिर में जाकर अपने पापों का बोझ और इच्छाएं छोड़ आते हैं। वर्तमान समय में हिंदू वहाँ जाकर अस्वच्छता भी छोड़ आते हैं। मंदिर में स्वच्छता की सेवा किए बिना व्यक्ति की चेतना का उत्थान नहीं हो सकता। इसलिए हमें स्वयं मंदिर की स्वच्छता करनी चाहिए।"

सुव्यवस्थित आश्रमों की स्थापना भी आवश्यक!

    वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव में सनातन संस्था की 'अध्‍यात्‍म का प्रास्‍ताविक विवेचन' इस गुजराती 'ई-बुक' का प्रकाशन उत्तर प्रदेश के पावन चिंतन धारा आश्रम के संस्थापक पू. डॉ. पवन सिन्हा 'गुरुजी' के हाथों किया गया। इस उपलक्ष में मंच पर पूर्व मुख्य जिला न्यायाधीश दिलीप देशमुख, हिंदू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्यों के समन्वयक श्री. सुनील घनवट और कर्नाटक के श्री गुरुप्रसाद गौड़ा उपस्थित थे।