ग़ाज़ियाबाद। 'कथा रंग' के 'कथा संवाद' में पढ़ी गई कहानियों पर विमर्श के दौरान कार्यक्रम अध्यक्ष सुप्रसिद्ध लेखिका सुमति सक्सेना लाल ने कहा कि आज के दौर का लेखक नितांत अकेला हो गया है। तीन दशक पहले तक कहानी सुनने और पढ़ने को लेकर श्रोताओं से लेकर पाठकों में एक ललक हुआ करती थी। सुश्री लाल ने कहा कि एक दौर था जब लेखक की एक सामाजिक प्रतिष्ठा थी। लेखक को घर और समाज में दिव्य व्यक्तित्व के तौर पर देखा जाता था। आज लेखक अपने घर परिवार में ही एकाकी हो गया है। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे अपने-अपने क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं लेकिन लेखक के परिजनों को ही उसकी उपलब्धि से कोई सरोकार नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि इसी वजह से पाठक के मन में भी रचनाकारों की कद्र नहीं रह गई है। इसका दुष्प्रभाव भाषा पर भी पड़ रहा है। पहले शब्द छोटे हुए, फिर गायब हो गए। यही हमारे समय की त्रासदी है कि आम लोगों में भी भाषा के प्रति कोई आग्रह नहीं रह गया है।
शंभू दयाल इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में सुश्री लाल ने कहा की 'कथा संवाद' जैसे मंच गली मोहल्ले में संचालित किए जाने चाहिएं। जिससे भाषा और विचार को जीवित रखा जा सके। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध लेखिका एवं कवयित्री अंजू शर्मा ने कहा कि 'ओपन माइक' की यह अनूठी परंपरा देश भर में अन्यत्र देखने को नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि हम लोग शब्दों की स्थापना करने वाले लोग हैं। ऐसे आयोजन विषय, संप्रेषण, भाषा और शिल्प को साधने का हुनर सीखाते हैं। उन्होंने कहा की 'कथा रंग' के मंच से सुनी गई कहानी यदि आपको परसाई की याद दिला दे तो समझिए आपका लेखन सही दिशा की ओर अग्रसर है।
'कथा रंग' में चर्चित लेखक व कॉलेज के प्रधानाचार्य देवेंद्र देव की कहानी 'बात', रेनु अंशुल की कहानी 'उसकी छत से दिखता है चांद', रश्मि वर्मा की कहानी 'एक चिट्ठी मां के नाम' व सुमित्रा शर्मा की कहानी 'तुझसे पहले भी कोई है' के अलावा प्रतिभा प्रीत, राजेश श्रीवास्तव, सिमरन, प्रताप सिंह की कहानियां भी सराही गईं। पर्यावरण विषय पर केंद्रित डॉ. अजय गोयल के उपन्यास 'हल्दीघाटी का कचरा और नैनो चिप' के अंश भी सराहे गए। इस अवसर पर चर्चित युवा लेखिका रिंकल शर्मा के नाटक बुरे फंसे का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन भी रिंकल शर्मा ने ही किया।
कहानियों पर विमर्श के दौरान सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने कहा कि 'कथा रंग' निसंदेह देश भर में अपनी पहचान 'ओपन माइक' के तौर पर बनाता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह इकलौता ऐसा मंच है जहां युवा से लेकर बुजुर्ग रचनाकारों को अपनी बात बेबाकी से कहने की स्वतंत्रता है। सुप्रसिद्ध लेखक डॉ. अशोक मैत्रेय ने कहा कि तमाम व्याधियों से घिरे होने के बावजूद इस मंच की विविधता उन्हें यहां खींच लाती है। उन्होंने कहा कि यह इकलौता ऐसा कार्यक्रम है जो नवांकुंरों को लिखने का हौसला देने, राह सुझाने और अभिव्यक्ति का अवसर दे रहा है। कार्यक्रम संयोजक आलोक यात्री ने कहा कि आज के दौर में सोशल मीडिया साहित्य के क्षेत्र में मीठे जहर की तरह से घुसपैठ कर रहा है। 'कथा संवाद' का उद्देश्य साहित्य जगत में उग रहे खरपतवार को दूर करना है। अद्विक प्रकाशन के स्वामी अशोक गुप्ता ने कहा कि बीते एक वर्ष में उनके प्रकाशन से आई पुस्तकें इस बात का प्रमाण हैं कि 'कथा रंग' के इस प्रयोग के सार्थक नतीजे सामने आ रहे हैं।
इस अवसर पर सुधा गोयल, डॉ. वीना मित्तल, प्रदीप भट्ट, अनिल मीत, पूनम माटिया, पं. सत्यनारायण शर्मा, सुभाष अखिल, अविनाश शर्मा, सिनीवाली, अनिमेष, तुलिका सेठ, वागीश शर्मा, उत्कर्ष गर्ग, डी. डी. पचौरी, कुलदीप, संजीव शर्मा, हेम लता गुप्ता, राष्ट्रवर्धन अरोड़ा, विनय विक्रम सिंह, टेकचंद, प्रभात चौधरी, मीना पांडेय, देवव्रत चौधरी, वी. के. तिवारी, अंशुल अग्रवाल, राजेश कुमार, प्रताप सिंह, ओंकार सिंह, के. एल. भारती, लोकेश कुमार, आनंद कुमार व संजय सागर सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।