सूक्ष्म मन को बांधने के लिए सूक्ष्म ज्ञान रूपी धागे की आवश्यकता होती है -महात्मा मुसाफिरनंद जी

मुंबई। वसई में मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में सुविख्यात एवं समाजसेवी श्री सतपाल महाराज जी के संत-महात्माओं व तुलिंज पुलिस स्टेशन के द्वारा तुलिज कर्मचारियों को स्ट्रेस(तनाव)मैनेजमेंट को कैसे दूर करे ये समझाया गया।

 सर्वप्रथम संस्था के युवा प्रतिनिधि प्रीतेश ने संस्था एवं गुरु महाराज जी का परिचय कराते हुए कहा कि श्री सतपाल महाराज जी की प्रेरणा से भारत में ही नहीं अपितु विदेशो में भी अध्यात्म ज्ञान का प्रचार हो रहा है जिसका उद्देश्य मानव को अपने आप से अवगत कराना है। इसके बाद मुंबई से पधारे महात्मा उर्मिला बाई ने उपस्थित पुलिस कर्मचारियों एवं अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हर मनुष्य तनाव भरी जिंदगी जी रहा है क्योंकि उसके मन में अनेक विचार चलते रहते हैं। मन बहुत चंचल है उसे वश में करने के लिए ध्यान साधना की आवश्यकता है। ध्यान कहां और कैसे लगाएं? इसका ज्ञान केवल सदगुरु द्वारा ही प्राप्त होता हैं, और सच्चे सदगुरु की पहचान केवल संत द्वारा होती है। इसीलिए जीवन मे संतो का सानिध्य बहुत जरुरी है।

 इसके बाद श्री हंस विजय नगर आश्रम वसई के प्रभारी महात्मा मुसाफिरनंद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में आदमी को तनाव होना वास्तविक है। तनाव से कैसे हम निपटे यह हमारे मन पर निर्भर है यदि हमारा मन इन्द्रियों की वशीभूत है तो वह इन्द्रियों की करेगा और अगर मन को सांसारिक विषयों एवं इंद्रियों से हटाकर स्वांसो में लगाए तो आदमी तनाव मुक्त हो जाएगा। सूक्ष्म मन को बांधने के लिए सूक्ष्म ज्ञान रूपी धागे की जरूरत है जो केवल समय के सद्गुरु द्वारा ही जाना जा सकता है। अंत में कहा कि संतों के सानिध्य से जीवन में सत्संग सुनने से विवेक जागृत होता है और मनुष्य मुक्ति को प्राप्त करता है। यह कार्यक्रम वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शैलेन्द्र नगरकर के विशेष आग्रह पर संपन्न हुआ।