गाजियाबाद। पिछले 9 महीने से लगातार अधिकारियों से शिक्षा सत्र 2020-21 की 15 प्रतिशत फीस की गुहार लगा रही है। अभिभावक भी आस लगाए बैठे थे कि प्रदेश सरकार और उसके अधिकारी कोर्ट द्वारा 6 जनवरी 2023 को कोरोना काल मे सत्र 2020-21 की 15 प्रतिशत फीस वापसी के आदेश का निजी स्कूलों से सख्ती से पालन करा पेरेंट्स को आर्थिक राहत प्रदान करने में सहयोग करेंगे, लेकिन इसे निजी स्कूलों का दबाव कहे या अधिकारियों की लाचारी आदेश को आये 9 महीने बीत गए उसके बाद भी जिले के अभिभावको को उनकी 15 प्रतिशत फीस वापस नही मिली।
गाजियाबाद पेरेंट्स द्वारा जिलाधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक को इन 9 महीनों के दौरान 15%फीस वापसी को लेकर 5 बार ज्ञापन दिया जा चुका है ट्विटर पर भी प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगाई जा चुकी है, उसके बाद भी जिले के अधिकारियों का फीस वापसी को लेकर उदासीन रवैया अभिभावको को बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर कर रहा है जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक ने तो निजी स्कूलों के साथ ऑनलाइन मीटिंग की खानापूर्ति कर सीडीओ के नेतृत्व में जिलाधिकारी सभाघर में हुई मीटिंग में कह दिया कि 164 स्कूलो ने फीस वापस कर दी है और बाकी स्कूलो को हम नोटिस भेज रहे है, जबकिं सच्चाई यह है कि जिले के 5 से 10 स्कूलो ने भी फीस वापस नही की है स्कूलो का कहना है कि वो 15 प्रतिशत फीस वापसी पर स्टे ले आये है जिसमे जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक भी निजी स्कूलों की हा में हा मिलाकर निजी स्कूलों को खुला सरंक्षण दे रहे है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने केवल उन बच्चों की फीस रिफंड करने पर स्टे दिया है जो बच्चे 2020-21 में स्कूल छोड़ चुके है लेकिन उन बच्चों की फीस रिफंड अथवा समायोजित करने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई स्टे नही दिया जो विद्यार्थी वर्तमान में स्कूल में शिक्षा ले रहे है सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को पढ़ कर आसानी से समझा जा सकता है। जिलाधिकारी भी 15 प्रतिशत फीस वापसी पर चुप्पी साधे है और सारा कुछ जिले के निजी स्कूलों को सरक्षंण दे रहे जिला विद्यालय निरीक्षक पर छोड़ दिया है। जिसके कारण निजी स्कूल फीस वापसी पर मनमानी करने पर उतारू है। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन शीघ्र ही जिले में आरटीई के दाखिलो को लेकर उदासीन रवैया अपनाने वाले अधिकारियों पर सख्ती दिखाने वाले समाज कल्याण विभाग के राज्य मंत्री असीम अरुण से मुलाकात कर 15 प्रतिशत फीस वापसी के मुद्दे को उठाएगी।