गाज़ियाबाद। प्रदेश के मुखिया भले ही भू-माफिया के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने के दावे करते हैं लेकिन गाजियाबाद पुलिस उनके दावों को खोखला साबित कर रही है।
मास को-ऑपरेशन एनजीओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष तौसीफ हाशमी ने कहा कि गाजियाबाद कमिश्ननरेट में नए पुलिस कमिश्नर आने के बाद लोगों को लग रहा था कि कमिश्नर साहब ने पुलिस प्रशासन की भाषा में सुधार करने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं जिसके चलते आम लोगों को लगता है कि शायद अब पुलिस अपनी मनमानी नहीं कर पाएगी और जनता के हित में काम करेगी जनता को इधर-उधर भागना नहीं पड़ेगा लेकिन गाजियाबाद पुलिस अभी भी सुधरने का नाम नहीं ले रही है और भू-माफियाओं को संरक्षण दे रही है।
थाना मसूरी क्षेत्र में एक ऐसा ही प्रकरण संज्ञान में आया है जहां पर भूमाफियाओं फजरूद्दीन, बजरूद्दीन, छोटे खां, राजुद्दीन, अजरुद्दीन, नसीमुद्दीन, श्रीमती हसीना, श्रीमती मुन्नी आदि निवासी ग्राम-कल्लू गड़ी थाना मसूरी गाजियाबाद की जमीन 1064.43 वर्ग गज थी लेकिन उक्त सभी भू-माफियाओं ने अपनी जमीन से ज्यादा जमीन 1439.50 वर्ग जमीन लोगों को बेच दी है और उक्त जमीन को ही सरकार को देकर उसका मुआवजा अपर जिलाधिकारी भू- अभिलेख के यहां अप्लाई कर दिया है इस संबंध में 5 जून को पीड़ित मेहराजुद्दीन द्वारा एक शिकायत गाजियाबाद पुलिस आयुक्त को दी गई जिसकी जांच जेल पुलिस चौकी पर तैनात चौकी प्रभारी के पास गई चौकी से खुर्शीद अहमद नामक पुलिसकर्मी का फोन आया और पीड़ित को पुलिस चौकी पर बुलाया सारे कागजात देखने के बाद कार्रवाई करने का आश्वासन दिया फिर 14 जून को खुर्शीद अहमद ने फोन कर के पुलिस चौकी पर बुलाया पीड़ित पक्ष वहां गया तो पहले से ही आरोपी भू-माफिया फजहरुद्दीन वहां पर मौजूद था और चौकी प्रभारी प्रदीप कुमार एवं मयंक उप निरीक्षक द्वारा पीड़ित पर भू-माफियाओं से फैसला करने का दबाव बनाया गया जब पीड़ित पक्ष ने फैसला नहीं किया तो पुलिसकर्मियों ने सिविल का मामला बता कर प्रकरण का निस्तारण कर दिया।
श्री हाशमी ने कहा कि पुलिस भूमाफियाओं से साठ- गाँठ कर के प्रकरण को सिविल का प्रकरण इस लिए बना देती है ताकि भूमाफियाओं को बचा सके और आम जनता कोर्ट कचहरी के धक्के खा खाकर मजबूर व परेशान होकर घर बैठ जाए।