गाजियाबाद इंडस्ट्रियल फैडरेशन के अस्तित्व पर उद्यमी ही लगा रहे हैं प्रश्न चिह्न

      विशेष संवाददाता

  गाजियाबाद। एक पुरानी कहावत है घर को ही आग लग गई घर के चिराग से। ऐसा ही कुछ जनपद के उद्यमियों के संगठन में हो रहा है। दो उद्यमियों के अहम के टकराव ने उद्यमियों के सबसे बड़े संगठन गाजियाबाद इंडस्ट्रियल फैडरेशन के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। विभिन्न औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों के अहम के टकराव ने उद्यमियों को दो खेमों में लामबंद करना शुरू कर दिया है। उद्यमी उपेंद्र गोयल व बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र के अध्यक्ष संजीव सचदेव फैडरेशन को जहां मुठ्ठी भर लोगों का कागज़ी संगठन बता रहे हैं वहीं फैडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा का कहना है कि उनका संगठन पंजीकृत संगठन है। जो उच्च स्तर पर मान्यता प्राप्त है।

  गौरतलब है कि एक पखवाड़े पूर्व पुलिस लाइन में आयोजित उद्यमियों की बैठक में आसन पर बैठने को लेकर दो पदाधिकारियों के बीच शुरू हुई जुबानी ज़ंग में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। गाजियाबाद के औद्योगिक संगठनों के केंद्रीय नेतृत्व पर जिले के उद्यमियों ने गुमराह करने जैसे गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं। फेडरेशन ऑफ गाजियाबाद इंडस्ट्रीज के विरोध में उठ रहे सामूहिक स्वर ने विरोध को इतनी हवा दे दी है कि फेडरेशन के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। एक औद्योगिक संगठन से जुड़े प्रमुख उद्यमी ने फेडरेशन को एक जेबी व असंवैधानिक संगठन बताते हुए इसके मुखिया के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। फेडरेशन को असंवैधानिक बताते हुए लघु उद्योग भारती के उपाध्यक्ष व ऑल इंडिया मैन्युफैक्चर्स ऑर्गेनाइजेशन के महासचिव उपेंद्र गोयल ने मुख्यमंत्री से लेकर सूबे के अन्य आला अधिकारियों को भेजे एक खुले खत में फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा पर उद्यमियों व प्रशासनिक अधिकारियों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए श्री शर्मा के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही करने की मांग की है। एक पखवाड़े पूर्व पुलिस कमिश्नरेट में आयोजित उद्यमियों की बैठक में फैडरेशन के मुखिया के रवैए के विरोध में एक उद्यमी द्वारा उठाई गई आवाज आज जनपद के हर उद्यमी की आवाज बन गई है। मंगलवार को श्री गोयल के समर्थन में फैडरेशन के महासचिव की मातृ संस्था एआईएमए भी  उतर आई है।

  ताज़ा घटनाक्रम के बाद अधिकांश औद्योगिक संगठन फैडरेशन के अध्यक्ष श्री शर्मा के खिलाफ तेजी से लामबंद हो रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि श्री शर्मा यह साबित कैसे करेंगे कि उनकी फेडरेशन जिले के लगभग 40 औद्योगिक संगठनों की सिरमौर है? इसके साथ ही फैडरेशन के महासचिव अनिल कुमार गुप्ता भी कई गंभीर आरोपों के दायरे में आ गए हैं। श्री गुप्ता इस तथ्य को लेकर निशाने पर हैं कि किसी भी औद्योगिक क्षेत्र के संगठन का पदाधिकारी न होने के बावजूद वह किस संवैधानिक अधिकार के तहत महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे हैं? औद्योगिक गलियारे में यह चर्चा आम है कि पात्र न होते हुए भी श्री गुप्ता एक संवैधानिक पद पर लंबे समय से असंवैधानिक तरीके से कैसे विराजमान हैं? फैडरेशन के अस्तित्व को लेकर चल रही उठापटक के बीच श्री गुप्ता के लिए इस सवाल का जवाब देना भी मुश्किल होगा कि किसी भी औद्योगिक संगठन में पदाधिकारी न होते हुए भी वह फेडरेशन के महासचिव के पद पर कैसे काबिज हो गए? अधिकांश उद्यमी एक स्वर में श्री शर्मा व श्री गुप्ता पर जेबी संगठन चलाने का आरोप लगाने में पूरी ताकत झोंके हुए हैं। देखना यह होगा कि विभिन्न औद्योगिक संगठनों से जुड़े उद्यमियों की फैडरेशन के खिलाफ लामबंदी का नतीजा क्या निकलता है? एआईएमए के अध्यक्ष संजीव सचदेव का कहना है कि यह किसी एक व्यक्ति के सम्मान की नहीं बल्कि जिले के हर छोटे बड़े उद्यमी के गौरव, सम्मान व अस्तित्व का संघर्ष है। उनका कहना है कि कथित रूप से किसी भी जेबी संगठन या असंवैधानिक रूप से पदों पर काबिज लोगों को उद्यमियों की स्मिता से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।