जीपीए ने आरटीई के दाखिलों को लेकर बाल आयोग को लिखा पत्र

 गाजियाबाद।  जीपीए ने राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग को खुला पत्र लिखते हुये बताया कि  शासनादेश  के माध्य्म से कुल 29 बच्चों का  चयन दुर्लभ वर्ग एवम अलाभित समूह के अंतर्गत आरटीई में गाजियाबाद के दिल्ली पब्लिक स्कूल में हुआ था। गाजियाबाद के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी , जिला अधिकारी एवम नगर मजिस्ट्रेट द्वारा स्कूल को तीन बार दाखिला नही लेने पर मान्यता रद्द करने की संतुति करने के चेतावनी नोटिस भेजे गए।उसके बाद भी स्कूल ने  बच्चों के दाखिले नही लिये। उसके बाद दिनाँक 27-08-2022 को गाजियाद के नगर मजिस्ट्रेट श्रीमान गंभीर सिंह स्वयं बच्चों के दाखिले कराने अपनी टीम के साथ स्कूल पहुँचे। जिसमे गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की टीम भी स्कूल में बच्चों और उनके अभिभवको के साथ मौजूद रही लगभग 3 घण्टे की जद्दोजहद और नगर मजिस्ट्रेट की सख्ती के वाद 9 बच्चों के दाखिले के फार्म स्कूल प्रधानाचार्य द्वारा भरवाये गये। और दो दिन बाद बच्चों को स्कूल भेजने के लिये बोला गया। इस दौरान नगर मजिस्ट्रेट , पुलिस की टीम , गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की टीम मौजूद थी ,लेकिन जब दो दिन बाद बच्चे पढ़ाई के लिये स्कूल पहुँचे तो उन सभी के अभिभावकों को बोला गया कि हमारी जिलाधिकारी से बात चल रही है, अभी आपके बच्चों का दाखिला नही हुआ है। स्कूल साफ साफ बच्चों के दाखिलों से मुकर गया और एक बार फिर बच्चों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के सचिव अनिल सिंह ने आयोग को पत्र के माध्य्म से बताया कि दिल्ली पब्लिक स्कूल के मालिक श्रीमान ओम पाठक एक रसूखदार व्यक्ति है जो राजनीति मे गहरी पकड़ रखते है श्रीमान ओम पाठक जी  भारतीय जनता पार्टी में सेंट्रल डिसिप्लिनरी कमेटी में मेंबर सेक्रेटरी एवम इलेक्शन कमेटी के सदस्य हैं, जिसके कारण कोई भी अधिकारी स्कूल पर कार्यवाई करने की हिम्मत नही दिखा पाता है । सन 2000 से स्कूल की स्थापना होने से आज तक बहुत कम अधिकारी स्कूल में प्रवेश करने की हिम्मत दिखा पाए। बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिये नगर मजिस्ट्रेट श्रीमान गंभीर सिंह ने  स्कूल में स्वयं जाकर सख्ती दिखाने की हिम्मत दिखाई ,लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उच्च स्तर पर एक बार फिर जिला प्रशासन स्कूल के मालिक के रुतबे के आगे नतमस्तक हो गया है  शिक्षा अधिकारियों द्वारा भी चयनित बच्चों की लिस्ट में कमी निकालने का काम जारी है ।सभी जानते है कि चयनित बच्चों के आय प्रमाण पत्र लेखपाल की जांच पड़ताल और तहसीलदार के निरक्षण के बाद ही बनते है। शिक्षा अधिकारियों द्वारा गलत रिपोर्ट बनाकर संतुष्ट करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षण आयोग को भी भेजी जाती है। आयोग द्वारा उसी जांच को सत्य मान कर आगे की कार्यवाई की जाती है। अनेको बार आयोग द्वारा जिलाधिकारी को नोटिस भेजे गये है लेकिन आज तक एक भी बार कोई कार्यवाई नही की गई जिसके कारण अधिकारियों के हौसले बुलंद है ।ये समझने के लिये काफी है कि अधिकारी स्कूल मालिक के कितने दबाव में है कि नगर मजिस्ट्रेट की इतनी सख्ती के बाद भी जिलाधिकारी बच्चों के दाखिले स्कूल में नही करा पाए ।  अभिभावक बच्चो के दाखिलों को लेकर अनेकों बार स्कूल एवम अधिकारियों के चक्कर लगा चुके है। लेकिन बार बार कुछ न कुछ कहकर अभिभावको को वापस भेज दिया जाता है ,जिसका परिणाम यह हुआ कि शासनादेश के 6 महीने से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी चयनित बच्चों का दाखिला स्कूल द्वारा नही लिया गया है।  अब अभिभावक , बच्चों और गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की आशा और उम्मीद बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाली संस्था राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग पर टिकी है । जीपीए ने आयोग से अनुरोध किया कि  स्कूल और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्यवाई सुनिश्चित करते हुये चयनित बच्चो का निःशुल्क एवम अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार 2009 की धारा 12 ( 1) के अंतर्गत स्कूल में एडमिशन सुनिश्चित कराते हुये शिक्षा का मौलिक अधिकार दिलाया जाये ।