डॉ अमित चौधरी ने अंतरराष्ट्रीय फादर्स डे पर देश के सभी पिता ओ को बधाई दी

 मुरादनगर। गंग नहर स्थित श्री हंस इंटर कॉलेज में कार्यरत कला अध्यापक व एनसीसी ऑफिसर शेरपुर गांव निवासी डॉ अमित चौधरी ने अंतरराष्ट्रीय फादर्स डे पर देश के सभी पिता ओ को बधाई दी |उन्होंने बताया कि फादर डे हर बच्चे व नागरिक के लिए साल का सबसे सुखद व अत्यधिक यादगार वाला दिन है| संपूर्ण विश्व में 19 जून को हर वर्ष फादर्स डे मनाया जाता है जिस तरह मां के सम्मान में संपूर्ण विश्व मदर्स डे यानी मातृ दिवस  मनाता है उसी तरह पिता के सम्मान में फादर्स डे यानी पित्र दिवस मनाया जाता है विश्व के कई देशों में अलग-अलग तारीख और दिन पर इसे मनाया जाता है वही भारत सहित कई देशों में जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे यानी पित्र दिवस मनाया जाता है |बच्चों की ख़ुशी और सफलता से पिता की आत्मा व मन को जो प्रसंता पहुंचती है उसका अंदाजा लगाना असंभव है अर्थात पिता बच्चों की खुशी व सफलता पर अत्यंत प्रसन्न होता है अपने जीवन के सर्वोच्च सुखों का बलिदान देकर यहां तक कि स्वयं भूखे पेट सो कर मां-बाप अपनी संतान का पालन पोषण करते हैं एक बालक के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण योगदान माता-पिता का होता है हमारी भारतीय सनातन संस्कृति प्रत्येक बालक को अपने माता-पिता के प्रति सम्मान करने सवेरे उठकर उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेने के संस्कार  देती है |हमारी प्राचीन शिक्षा में पेरेंट्स और बड़े बूढ़ों को सम्मान देना की परंपरा आदर्श समाज के दौर में थे मगर आधुनिक पाश्चात्य विचारों से प्रेरित होकर हमारी शिक्षा व्यवस्था में बच्चों और पेरेंट्स को उन गहरे रिश्तो को परिभाषित करने में पूर्णता विफल रही है पश्चिम सभ्यता की आड़ में आज हम अपनी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को भूल रहे हैं निसंदेह आज हम जो भी कुछ है वह अपने माता पिता और उनके द्वारा दिए गए संस्कारों की ही देन है |पृथ्वी पर मां बाप एक ऐसे प्राणी है जो जीवन भर कठिन परिश्रम कर बच्चों को कामयाबी की ऊंचाइयों पर पहुंचाते हैं हम माता-पिता के सम्मान में जीवन भर कितना भी सेवा कर  ले हम हमेशा उनके ऋणी रहेंगे |महाभारत में भी माता को पृथ्वी से बड़ा वह पिता को आकाश से बड़ा होने का उल्लेख मिलता है| हमें अपने माता-पिता के त्याग समर्पण व उनके मूल्यों का सम्मान करना चाहिए तथा उनकी पूरी मेहनत और लगन से सेवा करनी   चाहिए वह भारतीय संस्कृति के आदर सम्मान को नई पीढ़ी के समक्ष उदाहरण के रूप में पेश कर भारतीय संस्कृति को जीवित रखने का प्रयास करना चाहिए|