गाजियाबाद। जीपीए द्वारा जहाँ बच्चों के निःशुल्क एवम अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार ( आर.टी.ई) के एडमिशन कराने के लिए लगातार जी जान से प्रयास किये जा रहे है वही शिक्षा अधिकारी भी मामले को रफा दफा करने के लिए आयोग और शिक्षा निदेशालय को भृमित करने में कसर नही छोड़ रहे है, मामला है जिले के विजय नगर स्थित नामी स्कूल जे. .के.जी इंटरनेशनल स्कूल का जिसको शासनदेश द्वारा शिक्षा सत्र 2021/22 में आर .टी.ई के अंतर्गत चयनित बच्चों का एडमिशन कराने के लिए पत्र जारी हुआ था लेकिन शासन्देश के आठ महीने बीत जाने के बाद भी आज तक बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित नही हो पाया है। ग़ाज़ियाबाद पेरेंट्स एसोसिएसन द्वारा लगातार राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग , नई दिल्ली , राज्य बाल अधिकार सरक्षंण आयोग , लखनऊ , जिलाधिकारी सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री एवम शिक्षा मंत्री को अनेको पत्र लिखे जा चुके है। आयोग द्वारा जिलाधिकारी को बच्चों के प्रवेश करा जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए दो बार सख्त पत्र जारी किये जा चुके है लेकिन मामला जस का तस है बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया जा रहा है बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित है जो अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण पूर्ण है जीपीए द्वारा आयोग एवम शिक्षा अधिकारी को दिनाँक 16-02-22 को पत्र के माध्य्म से कोर्ट जाने की चेतावनी दी थी , जिसका सज्ञान लेते हुये राज्य बाल अधिकार सरक्षंण आयोग ने जीपीए की मेल पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा दी गई आख्या भेजी है जिसमे कहा गया है कि स्कूल द्वारा कोविड की वजह से सामान्य स्थिति नही होने के कारण स्कूल द्वारा केवल 6 एड्मिसन लिये गये है जबकि खण्ड शिक्षाअधिकारी द्वारा दिनाँक 28-08-2021 के पत्र में स्कूल द्वारा शून्य एडमिसीन करना बताया गया है बेसिक शिक्षाअधिकारी द्वारा यह भी कहा गया है की स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त होने के कारण उनके नियंत्रण से बाहर है बेसिक शिक्षा अधिकारी भूल गये की वो आर. टी.ई एड्मिसन के नोडल अधिकारी है और राज्य सरकार प्रदेश के सभी स्कूलो को एनओसी जारी करती है जिसकी शर्तों को पूरा करने के बाद ही स्कूलो द्वारा सीबीएसई से मान्यता मिलती है जिले के सभी सरकारी और गैरसरकारी कक्षा 8 तक के स्कूल बेसिक शिक्षा अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में आते है आर .टी.ई के एडमिसीन स्कूल द्वारा नही दिए जाने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा स्कूल की एनओसी रद्द करने के प्रवधान भी अधिकार क्षेत्र में आते है इन सभी अधिकार क्षेत्र को भूल कर बेसिक शिक्षा अधिकारी आयोग को भृमित करने की भरकश कोशिश कर रहे जो दिखाता है कि निजी स्कूलों का दवाब किस तरह से शिक्षा अधिकारियों पर हावी है जिसका सीधा प्रभाव बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर रहा है ।नए सत्र के लिए आर. टी .ई एडमिशन का शासन्देश जारी हो चुका है जबकि पुराने सत्र के प्रवेश पर चुप्पी जारी है अब सवाल यह है कि अखिर बच्चों के शिक्षा अधिकार के लिए कोन सा दरवाजा खटखटाया जाये ।
आर .टी.ई एडमिशन की कराने की बजाय खानापूर्ति में जुटे बेसिक शिक्षा अधिकारी