शिक्षा ही राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है - सीमा त्यागी

हम सभी जानते है कि शिक्षा ही राष्ट्रनिर्माण की आधारशिला होती है लेकिन शिक्षा के बढ़ते व्यपारिकर्ण से हालात चिंताजनक है धीरे धीरे शिक्षा आम आदमी की पहुँच से दूर होती जा रही है। सरकार में बैठे नीतिनिर्धारकों के  सरंक्षण से शिक्षा पर पूँजीपति व्यापारियों की पकड़ मजबूत होती जा रही है जिसके परिणामस्वरूप शिक्षा व्यापर का केंद्र बिंदु बनता जा रहा है देश के बड़े बड़े व्यापारी अपनी फ़ैक्टरियों को बंद करके मोटा प्रॉफिट अर्जित करने के लिए स्कूल खोल रहे इन पूजीपति व्यापारियों ने शिक्षा को महँगे दामों पर बेचना शरू कर दिया है। केंद्र और राज्य सरकार भी शिक्षा के व्यापार पर चुप्पी साधे ढुल मूल रवैया अपनाए हुये है देश के अधिकतर राज्यो में सरकारी स्कूल बदहाली की कहानी बयां कर रहे है निजी स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए देश के सरकारी स्कूलो को नजरअंदाज किया जा रहा है। आज जब देश आजादी का 75 वा अमृत महोत्सव मना रहा है वही देश के सरकारी स्कूलो में बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए टाट पट्टियों पर बैठने को मजबूर है सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा लेने के लिए मूलभूत सुविधाओं का गहरा अभाव है शिक्षा किसी भी राष्ट्र के बहुआयामी (सामाजिक, आर्थिक, प्रौद्योगिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक) विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिस तरह एक शिशु के स्वस्थ जीवन के लिए मां का दूध ही संपूर्ण आहार होता है वैसे ही शिक्षा भी एक व्यक्ति के जन्म से मृत्यु तक सार्थक जीवन जीने के लिए एक परम आवश्यक घटक साबित होती  है । हमारे देश में शिक्षा का महत्त्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि भारत सरकार ने निरूशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत शिक्षा को जीवन का मौलिक अधिकार घोषित कर अनुच्छेद-21क में समाहित किया है। 

शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं और गुणवत्ता के सुधार हेतु बजट आबंटन जीडीपी  के औसत 3 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2020-21 में 4.6 प्रतिशत तक किया है जो एक सराहनीय कदम है लेकिन फिर भी हम विश्व के अन्य राष्ट्रों से काफी पीछे हैं जहां जीडीपी का औसत 6 प्रतिशत से अधिक भाग शिक्षा पर खर्च किया जाता है। वार्षिक शिक्षा स्टेटस रिपोर्ट  2018 के मुताबिक ग्रामीण भारत में चार में से एक छात्र कक्षा आठ तक पढ़ाई छोड़ देता है। ये आंकड़े हमें दिखाते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में हमें और सुधार की आवश्यकता है। मौजूदा वैश्विक कोरोना महामारी ने हालातों को और भी गंभीर बना दिया है। पिछले 2 साल से भी ज्यादा समय  से देश के  सभी सरकारी गैर-सरकारी विद्यालय बंद है जिससे बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक असर पड़ा  है। कुछ विद्यालय ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से छात्रों को पढ़ा रहे हैं परंतु अधिकतर बच्चों कि स्मार्टफोन / टैब / लैपटॉप आदि संसाधनों तक पहुंच नहीं होने के कारण शिक्षा से वंचित है। ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं इंटरनेट रेंज की समस्या है तो कहीं बिजली की ऐसे में छात्रों की शिक्षा पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। देश की सरकार को सस्ती और सुलभ शिक्षा के लिये जहाँ एक तरफ देश के सरकारी स्कूलों को बेहतर सुविधाओ से सुसज्जित करना होगा वही देश मे शिक्षा के बढ़ते व्यवसाईकरण पर भी नकेल कसनी होगी तभी देश का सम्पूर्ण विकास संभव होगा । 

सीमा त्यागी ( अध्य्क्ष)

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन