गजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने प्रदेश के स्कूलो के खोलने के निर्णय पर उठाए सवाल

 गजियाबाद। गजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार के माध्य्म से जारी निर्देशो के अनुसार प्रदेश के स्कूलो के खोलने के निर्णय पर सवाल उठाए है। जहाँ पत्र में जारी निर्देशो के अनुसार कोविड -19 को द्रष्टिगत रखते हुये निर्धारित मानकों और शर्तो के अनुसार  विद्यालयो को पुनः संचालन के लिए एस. ओ. पी जारी की गई है, वही निजी विद्यालयो द्वारा दी गई ऑन लाइन शिक्षा के अनुसार शिक्षा सत्र लगभग समाप्ति की और है और अनेको स्कूलो द्वारा फाइनल ऑन लाइन एग्जाम लेने शरू कर दिए है। अब प्रशन यह उठता है कि क्या समस्त भारत और  उत्तर प्रदेश कोरोना मुक्त हो गया है? क्या स्कूलो के स्टाफ और टीचर को कोरोना वैक्सीन लगा दी गई है? क्या बच्चो द्वारा स्कूल में प्रदेश सरकार द्वारा जारी  एस. ओ. पी के अनुसार सोशल डिस्टनसिंग के नियमो का पालन किया जा सकता है? क्या बच्चों द्वारा लंबे समय तक मास्क लगाया जा सकता है? अगर प्रदेश सरकार और निजी स्कूल दोनों ही पूर्ण आश्वश्त है कि स्कूल खोलने के लिए पूर्ण सुरक्षित है तो फिर सरकार और स्कूल बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा की गारन्टी लेने के लिए तैयार क्यो नही। क्यो स्कूलो द्वारा अभिभावको को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कंसेंट लेटर भेजा जा रहा है और फोन कर स्कूल भेजने का दबाब बनाया जा रहा है। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा आठवी तक के बच्चो को अगली क्लास में प्रमोट करने का आदेश आसानी से जारी किया जा सकता है। क्योंकि प्रदेश में लगभग 56 % बच्चे ऐसे है जो सुविधाओ के अभाव में ऑन लाइन परीक्षा से वंचित रह गये है और यह शिक्षिक सत्र लगभग समाप्त हो गया है । कोरोना की वैक्सीन अभी टीचर और स्टाफ को नही लगाई गई है फिर स्कूल में बच्चे केसे सुरक्षित रह पाएंगे। जीपीए की अध्य्क्ष सीमा त्यागी द्वारा कहा गया जब छोटे बच्चों का शेक्षिक सत्र लगभग समाप्त हो गया है और फाइनल परीक्षा ऑन लाइन ली जा सकती है। फिर एक महीने के लिए स्कूल खोलने का क्या तुक पहले स्कूल की टीचर और स्टाफ को पहले कोरोना वैक्सीन दी जाए। उसके बाद नए शिक्षा सत्र से स्कूल खोलने का निर्णय लिया जाना चाहिए। वही जीपीए के उपाध्यक्ष जगदीश बिष्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश सरकार लगातार निजी स्कूलों के दबाब में निर्णय ले रही है। बिना बच्चो के स्वास्थ्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी लिये निजी स्कूलों को अभिभावको से फीस उगाही के लिए मौका देना चाहती है। वही जीपीए के सचिव अनिल सिंह ने कहा कि सरकार बिना सोचे समझे निर्णय लेकर अभिभावक और बच्चों को खतरे की नाव में सवार करने के लिए आमादा है। प्रदेश सरकार को निजी स्कूलों के हितों के साथ साथ अभिभावको और बच्चों के हितों को मध्यनजर रखते हुये स्कूल खोलने के निर्णय पर पुनः विचार करना चाहिए और टीचर्स और स्टाफ को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध करा नये सत्र से स्कूल खोलने का निर्णय लेना चाहिए।