दोस्तों- हमारी जिंदगी में रोटी का अपना एक अलग महत्व है ,वैसे तो खाने या पेट भरने के लिए कुदरत ने हजारों चीजें दी हैं।जिन्हें खाने के बाद पेट तो भर जाता है मगर रोटी खाने के बाद इंसान को एक अलग से संतुष्टि मिलती है, आप सब ने देखा होगा या हो सकता है आपके खुद के साथ भी बीता हो, दोस्तों हर दूसरे घर तकरार चलती रहती है, तकरार केवल तकरार तक सीमित है तो कोई बात नहीं मगर तकरार बढ़ कर कभी-कभी लड़ाई का रूप भी ले लेती है। उसी लड़ाई में सबसे पहले जो हथियार चलता है, मैं रोटी नहीं खाऊंगा या औरत मैं रोटी नहीं पकाती या बनाती चूल्हा बंद चूल्हा नहीं जलेगा और अगर चूल्हा नहीं जलेगा तो रोटी कैसे बनेगी। अब चूल्हा ना जलने पर बच्चों के साथ भी अन्याय मां-बाप की लड़ाई में बच्चे भी भूखे रह जाते हैं, बच्चों को भी भूखा रहना पड़ता है, मां बाप तो रहते ही हैं अब खाली पेट नींद किसी को आती नहीं मगर गुस्से में इधर-उधर तड़पते रहते हैं। उस वक्त इंसान क्यों नहीं सोचता फिर थोड़ी देर का गुस्सा कहां तक पहुंच गया और अगर औरत थोड़ी सी समझदारी दिखाएं तो तकरार से बचा जा सकता है। आदमी के घर आने पर एकदम डिमांड ना बता कर थोड़ा इंतजार करना चाहिए, इंसान को अपनी लड़ाई में रोटी से गुस्सा नहीं करना चाहिए इंसान रोटी के लिए ही सारे पापड़ बेलता है, इंसान की जिंदगी में जो महत्व रोटी का है और किसी चीज का नहीं आप दुनिया की कोई भी नेहमत खा लो मगर रोटी के बिना जिंदगी नहीं, इसलिए बार-बार लिख रहा हूं और रोटी से कभी रुसवा नहीं होना चाहिए। अन्न एक देवता है, आपको कोई हक नहीं अन्न से नाराजगी दिखाने की पहली बात तो तकरार को सूझबूझ से तकरार तक ही समाप्त हो जानी चाहिए। माना कभी गुस्सा बढ़ गया तो भी रोटी नहीं खाऊंगा यह शब्द कभी नहीं कहना चाहिए यह शब्द कहना अन्न का अनादर है, दोस्तों इंसान दिन भर मेहनत क्यों करता है ताकि बच्चों का पेट पाल सकें और अगर रोटी से लड़ाई ही करनी है तो फिर सारा दिन मेहनत क्यों उसी घर को स्वर्ग की संज्ञा दी जाती है जहां सूखी रोटी खाकर भी प्रसन्न रहते हैं। लोग खुशियां भी उसी घर आती हैं जहां सभी लोग एक दूसरे से प्यार करते हो रोटी से जिंदगी में अगर बहार आती है रोटी ना खाने से जिंदगी बेरंग भी हो जाती है। दोस्तों वहीं दूसरी तरफ इंसान को घर में खुशियां लाने के लिए अपने सारे दिन की तकलीफों को अगर घर जाते समय घर के बाहर रखकर अंदर जाते हैं तो आपका ग्रस्त जीवन खुशियों से भरपूर होगा कई बार हम अपने कारोबार की वजह से या मजदूरी की वजह से दुखी होते हैं। मगर हम उन परेशानियों को घर के अंदर ना ले जाएं तो आप देखेंगे बच्चों के बीच जाकर आप अपनी परेशानी भूल जाते हैं और आप में एक नई ताकत आती है और आप उसी ताकत के बल पर फिर एक बार मैदान में उतरते हैं। वहीं दूसरी तरफ अगर दोस्तों आप दिनभर की तकलीफों के साथ घर के अंदर जाते हैं तो बच्चे जो रोज की तरह प्यार में कुछ मांगते हैं तो आपको गुस्सा आ जाता है। और फिर वही लड़ाई रोटी नहीं खाऊंगा इंसान वही जो परेशान होते हुए भी बच्चों को जाहिर ना होने दें, और तकलीफ में भी बच्चों की मांग को हंसकर उस वक्त डाल दे तो भी खुशी का माहौल बना रहता है, दोस्तों रोटी से नाराज होने वाले लोग अपने हंसते खेलते परिवार में मातम का माहौल घर में ले आते हैं। और उसी मातम से घर की खुशी और शांति भी खत्म कर लेते हैं, परिवार को भी चाहिए घर के मुखिया से जिद ना करें। आप की मांग पूरी करने के लिए उसके पास पैसा भी है या नहीं पहले यह जान ले सुखी परिवार बनाना घर के प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी है, सिर्फ एक व्यक्ति के त्याग करने से घर स्वर्ग नहीं बनता दोनों पहिए बराबर पटरी पर चलेंगे तो गाड़ी अच्छी चलती है और एक पहिए पटरी से उतरते ही गाड़ी रुक जाएगी बल्कि पलट भी सकती है। इसलिए दोस्तों बार-बार लिख रहा हूं और रोटी से लड़ाई नहीं दोस्तों मैं आपका अच्छा दोस्त मनजीत बोल रहा हूं दोस्तो आप को थोड़ा एहसास दिला रहा हूं और अपनी बात बस यहीं समाप्त करता हूं अपनी तकलीफ घर के अंदर ना ले जाएं अगर घर को स्वर्ग बनाना चाहते हो थोड़ा सब्र में रहे जल्दी में गुस्सा ना करें ,गुस्सा ही इंसान की जिंदगी में तबाही ले आता है। तो दोस्तों समझ ले बाकी चीजों से भले रुसवा हो मगर रोटी से नहीं रोटी से नाराज घर में परमात्मा भी रहमत नहीं बरसाता आओ जिंदगी में खुशियां भर दे घर को स्वर्ग बना ले स्वर्ग नरक यही है आपकी जिंदगी में शांति सकून है तो आप का स्वर्ग यही है ,और तकरार लड़ाई का माहौल हो जिस घर में हमेशा उस घर को कभी स्वर्ग की संज्ञा नहीं दी जा सकती। आओ स्वर्ग बनाए घर को स्वर्ग बनाना हमारे हाथ है इस लेख को पढ़कर कुछ लोग भी अपने को बदलते हैं तो मेरा लिखना सार्थक होगा। -सरदार मंजीत सिंह आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक
रोटी से नहीं रोटी के लिए लड़ना चाहिए - सरदार मंजीत सिंह