परमात्मा से की जाने वाली दोस्ती में स्वार्थ नहीं होता - मंजीत सिंह

दोस्तों मेरी उससे यारी है जिसकी दुनिया सारी  है, दुनिया में सब किसी ना किसी से दोस्ती करते हैं अपने हमउम्र से अपने सहपाठी से अपने कारोबारी से अपने ग्राहक से मगर बहुत कम लोग होते हैं, जो परमात्मा उनसे दोस्ती करते हैं। जबकि हर इंसान जानता है दुनियावी दोस्ती मतलब से होती है। दुनिया के सारे रिश्ते नाते वक्त के साथ जुड़ते हैं और कुछ समय बाद वो रिश्ते समाप्त हो जाते हैं, दोस्तों परमात्मा से दोस्ती करो परमात्मा से की जाने वाली दोस्ती में स्वार्थ नहीं होता। और जिस में स्वार्थ होता है, वहां दोस्ती नहीं होती अपने दुख और सुख परमात्मा से बांट कर चलने वाले कभी दिक्कत में नहीं फंसते इंसान को हर बात को परमात्मा से बांट कर चलना चाहिए। दोस्तों मैं आपका अच्छा दोस्त मनजीत बोल रहा हूं, दोस्तों हर इंसान को अपने अंदर खुद झांकना चाहिए कि आप परमात्मा से कितना प्रेम करते हो कहीं दुनिया की नजर में दिखावा तो नहीं कर रहे या एक डर तो नहीं इंसान को मालूम रहता है, कि हम किसी परेशानी से बचने के लिए भी कई बार परमात्मा से प्यार करते हैं। जो गलत है हमारे कर्म भी हमारी आने वाली जिंदगी के बारे में अवगत करा देते हैं, जब हमारा मन कहे कि परमात्मा ने हमें क्या-क्या दिया या क्या नहीं दिया तो यह प्यार नहीं दोस्ती नहीं व्यापार में आ जाता है। ऐसा प्रेम जो नफे-नुकसान के लिए किया जा रहा हो, वह सच्चा नहीं झूठ है। परमात्मा से यारी करो या ना करो वह आपके कर्म के अनुसार आपको खुशी और गम ही देता है परमात्मा से प्यार करना कोई प्रतियोगिता नहीं परमात्मा से प्रेम करने वाले कुछ आप से आगे होंगे और कुछ पीछे मगर इंसान को यह नहीं सोचना चाहिए हम जितना प्रेम परमात्मा से करते हैं या कर रहे हैं इसकी कोई तुलना नहीं करनी चाहिए कृष्ण के प्रेम में राधा ने कोई तराजू नहीं रखा था इंसान जितना भी प्यार परमात्मा से करता है, मगर उसे कभी नहीं सोचना चाहिए। उससे कम या ज्यादा प्यार कर रहा है हर इंसान की अपनी एक सोच होती है। हां दोस्तों यह भी ध्यान रखना अगर आप परमात्मा से प्रेम नहीं करोगे तो क्या परमात्मा आपसे नाराज हो जाएगा। इससे तुम्हारे मन का डर समाप्त होगा और प्यार के दरवाजे खुल जायेंगे इंसान को लालची भी नहीं होना चाहिए कि मैं परमात्मा से प्रेम करूंगा तो मुझे कुछ ज्यादा मिलेगा। परमात्मा से दोस्ती करना ही अपने आप में बहुत बड़ी बात है दुनिया दिखावे में जी रही है, परमात्मा ही दुनिया का पालनहार है, परमात्मा ने हमें इसलिए भेजा है कि हम परमात्मा के बनाए जीवो से प्यार करें परमात्मा से प्यार करने का अर्थ यह नहीं कि हम अपना घर बार छोड़ दें, ग्रस्त जीवन जीते भी हम परमात्मा से दोस्ती कर सकते हैं श्री गुरु नानक देव जी ने ग्रस्त जीवन को उत्तम माना है हम अपने परिवार के साथ रहकर भी परमात्मा से दोस्ती कर सकते हैं। उसके लिए हमें पहाड़ों पर या गुफा में रहने की आवश्यकता नहीं एकांत का भी कोई फर्क परमात्मा से दोस्ती करने पर नहीं पड़ता। दोस्तों सर से लेकर पांव तक शरीर से आत्मा तक स्वयं में झांको, आपकी परमात्मा से दोस्ती कितनी सच्ची है परमात्मा अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करता। भक्तों द्वारा की गलती को परमात्मा माफ कर देता है। परमात्मा अपने सेवकों पर भक्तों के बस में रहता है, कई बार भक्तों की जिद के आगे परमात्मा झुक भी जाता है। परमात्मा से प्रेम करने वालों और आगे बढ़े परमात्मा की राह तकता है मेरी उससे यारी है जिसकी दुनिया सारी है।                                                                                                                                      सरदार मंजीत सिंह आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक।