जनसंख्या नियंत्रण हेतु कानून बनाने की कोशिशें शुरू हो गई

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री को पत्र लिख जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने की भी कोशिशें शुरू हो गई हैं। देश में प्रतिदिन करीब 70000 और एक मिनट में औसतन 51 बच्चे जन्म लेते हैं। इससे भारत की आबादी की रफ्तार समझी जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से तेजी से बढ़ती जनसंख्या और उससे पेश आती चुनौतियों की ओर जनता का ध्यान आकृष्ट किया था। उसके बाद से सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश कर और  ऐसे में यह रोचक है कि 14 अगस्त को सरकार की ओर से कोर्ट में क्या जवाब पेश किया जाता है। दरअसल प्रधानमंत्री की ओर से इसे एक सुझाव की तरह ही पेश किया गया था। सरकार के सूत्रों की ओर से भी यह संकेत भी दिया गया था कि फिलहाल जागरुकता के जरिए लोगों को जगाने की कोशिश हो रही है, लेकिन इसी बीच व्यापक चर्चा भी छिड़ी है और दबाव भी बनाया जा रहा है। भाजपा नेता और वकील अश्वनी उपाध्याय ने रविवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को इमेल के जरिये पत्र भेज कर जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणाम बताते हुए जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का आग्रह किया है। प्रति गृहमंत्री अमित शाह भी भेजी गई है। राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल ने भी गत 7 अगस्त को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसी संसद सत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून का विधेयक लाने का आग्रह किया है।याचिका में मांग है कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह संविधान समीक्षा आयोग की सिफारिश के मुताबिक जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाए।सुप्रीम कोर्ट ने गत दस जनवरी को मामले मे नोटिस जारी करते हुए गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय से जवाब मांगा था। पिछले महीने भी मामला सुनवाई पर लगा था, लेकिन सरकार ने कोर्ट से जवाब देने के लिए समय मांग लिया था। अब 14 अगस्त को फिर सुनवाई होनी है।