नई दिल्ली|
राज्यसभा में मोदी सरकार के जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के ऐतिहासिक प्रस्ताव के बाद अब कश्मीर का अलग झंडा नहीं रहेगा। साथ ही कश्मीर का अलग संविधान नहीं होगा और अब पूरे देश की भांति कश्मीर में भी एक ही कानून चलेगा।
धारा 370 के विरोध में जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1952 में एक नारा दिया था 'एक देश, दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे। जनसंघ संस्थापक के दिए गए नारे ने आज सच्चाई का रुप ले लिया। बता दें कि जम्मू कश्मीर में अलग झंडे के साथ ही कानून भी अलग थे। जम्मू कश्मीर में रणबीर दंड संहिता लागू थी। जिसे रणबीर आचार संहिता भी कहा जाता था। भारतीय संविधान की धारा 370 के मुताबिक जम्मू कश्मीर राज्य में भारतीय दंड संहिता का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था। यहां केवल रणबीर दंड संहिता का प्रयोग होता था। ब्रिटिश काल से ही इस राज्य में रणबीर दंड संहिता लागू थी।
दरअसल, भारत के आजाद होने से पहले जम्मू कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत थी। उस वक्त जम्मू कश्मीर में डोगरा राजवंश का शासन था। महाराजा रणबीर सिंह वहां के शासक थे। इसलिए वहां 1932 में महाराजा के नाम पर रणबीर दंड संहिता लागू की गई थी। यह संहिता थॉमस बैबिंटन मैकॉले की भारतीय दंड संहिता के ही समान थी, लेकिन इसकी कुछ धाराओं में अंतर था।