गाज़ियाबाद। चार सत्रों में आयोजित कथा रंग कहानी महोत्सव एवं अलंकरण समारोह में जहां वर्तमान कहानी की चुनौतियां विषय पर गंभीर विमर्श हुआ वहीं देश के विख्यात कहानीकार से. रा. यात्री की कथा यात्रा भी विमर्श में रही। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित गाजियाबाद लिट्रेरी फेस्ट में देश भर से जुटे युवा और वरिष्ठ कहानीकारों ने मंच से अपनी बात रखी। फेस्ट की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि अच्छी कहानी रची जाती है लिखी जाती है। अधिकांश नए लेखक जल्दी शोहरत पाने के चक्कर में कहानी लिख रहे हैं, रच नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए लेखकों को कहानी रचना पंचतंत्र से सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कहानी अच्छी भी हो सकती है बुरी भी हो सकती है लेकिन कहानी होनी चाहिए। वरिष्ठ उपन्यासकार कथाकार एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी वी. एन. राय ने कहा कि से. रा. यात्री ने लगभग 80 किताबें लिखी लेकिन कभी प्रचार नहीं किया। जबकि आज का लेखक एक कहानी लिखकर ही प्रसिद्धि प्राप्त करना चाहता है। उन्होंने यात्री जी के साथ अपने संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि उन जैसा तटस्थ और ईमानदार लेखक आज देखने को नहीं मिलता।
चर्चित लेखिका ममता कालिया ने कहा कि यह आयोजकों की नहीं प्रायोजकों की सदी है। हमें साहित्य को प्रायोजकों से बचाना है। उन्होंने कहा कि लेखक भले ही अच्छा या बुरा हो लेकिन आदमी अच्छा होना चाहिए। इस अवसर पर अद्विक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित से. रा. यात्री स्मृति ग्रंथ का लोकार्पण भी किया गया। चर्चित कार्टूनिस्ट आबिद सुरती ने कहा कि देश को राष्ट्रवादी युवाओं की जरूरत है। उन्होंने धर्म को निजी सोच के आधार पर मानने पर जोर दिया। डॉ. वीरेंद्र आजम ने कहा कि नए लेखकों को से. रा. यात्री की किताबें पढ़नी चाहिए, जो अपने आप में कहानी की पाठशाला व विश्वविद्यालय हैं। पाखी के संपादक पंकज शर्मा और डॉ. अलका सिन्हा ने भी समकालीन कहानी की चुनौतियां को अपने अपने नजरिए से परिभाषित किया।
कथा रंग प्रतियोगियों के विजेताओं वंदना वाजपेयी, आशीष दशोत्तर, दिव्या शर्मा, रेणु हुसैन, अरुण अर्णव खरे, सुधा गोयल, तौसीफ बरेलवी, मनु लक्ष्मी मिश्रा, डॉ. असलम जमशेदपुरी, रिंकल शर्मा, शकील अहमद सैफ, डॉ. वीणा चूंडावत, शिवजी श्रीवास्तव, राम नगीना मौर्य, डॉ. रंजना जायसवाल, राष्ट्रवर्धन अरोड़ा व बीना शर्मा को हंस के संपादक संजय सहाय, साहित्य अकादमी के उप सचिव ऋषि कुमार शर्मा, लेखिका कायनात काज़ी, अब्दुल बिस्मिल्लाह, डॉ. अशोक मैत्रेय, डॉ. अजय गोयल व से. रा. यात्री की मानस पुत्री डॉ. माला कपूर 'गौहर' द्वारा सम्मानित किया गया। इससे पूर्व दीपशिखा संस्था हापुड़ द्वारा सुप्रसिद्ध समाजसेवी व ललित कलाओं के संरक्षक ललित जायसवाल को दीपशिखा साहित्य उत्कर्ष सम्मान से अलंकृत किया गया। अपने धन्यवाद ज्ञापन में संस्था की संरक्षिका डाॅ. गौहर ने कहा कि यह इस महानगर का परम सौभाग्य है कि मुझ जैसे तमाम लोगों को से. रा. यात्री अपनी विरासत सौंप कर गए हैं। अब यह हमारा कर्तव्य है कि इस विरासत को संभालने के साथ इसके संरक्षण का दायित्व भी निभाएं। इस अवसर पर योगेन्द्र दत्त शर्मा, डॉ. बीना शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
शकील अहमद सैफ की कहानी पर आधारित नाटक बन्ने की दुल्हनिया व तरुणा पाल की एकल प्रस्तुति भी विशेष तौर पर सराही गई। नाटक का निर्देशन निर्देशन आलोक शुक्ला ने किया था। आयोजक कमलेश भट्ट कमल व संयोजक सुभाष चंदर, शिवराज सिंह व आलोक यात्री तथा सहयोगी संस्था अद्विक प्रकाशन के प्रभारी अशोक गुप्ता ने सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफर संचालन दीपाली जैन 'ज़िया', वागीश शर्मा व डॉ. प्रीति कौशिक द्वारा किया गया।
इस अवसर पर मंगला वैद, प्रणव जैन, सुभाष सिंघल, डॉ. बीना मित्तल, डॉ. निधि अग्रवाल, डॉ. अलका वशिष्ठ, ओंकार सिंह, प्रताप सिंह, सिनीवाली, नेहा वैद,उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी', अवधेश श्रीवास्तव, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, नेहा वैद, पराग कौशिक, भूमिका अखिल, अनिल मीत, मीनाक्षी गुप्ता, अभिषेक कौशिक, बलराम अग्रवाल, खेमकरण 'सोमन', प्रभात चौधरी, राजीव शर्मा, मुकेश पोपली, कविता पोपली, उमा नवानी, एकता कोहली, मंजु कौशिक, अतुल सिन्हा, सत्य नारायण शर्मा, सुभाष अखिल, सुशील शर्मा, महकार सिंह, अशोक शर्मा, संजय भारद्वाज, वी. के. गुप्ता, वीरेन्द्र राठौड़, संजय भदौरिया, अनिल शर्मा, तिलक राज अरोड़ा, भारत भूषण बरारा, सुभाष गुप्ता, सुरेंद्र शर्मा, सुरेन्द्र अरोड़ा, वीरेन्द्र रोड़ा, भूप सिंह पाल, राजेन्द्र गजवानी, देवेंद्र हितकारी, कुलदीप, निरंजन शर्मा, विश्वेंद्र गोयल, विनीत गोयल, देवव्रत चौधरी सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद थे।