मुरादनगर, 21 जुलाई। गंग नहर स्थित श्री हंस इंटरमीडिएट कॉलेज के प्रांगण में मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में गुरु पूजा के पावन पर्व पर दो दिवसीय विशाल सत्संग समारोह के समापन अवसर पर सुविख्यात समाजसेवी व आध्यत्मिक गुरु श्री सतपाल जी महाराज ने कहा कि बिना गुरु ज्ञान के हृदय के अंदर अंधकार ही अंधकार होता है, इसलिए गुरु महाराज के पास जाकर श्रद्धा से ज्ञान प्राप्त करना और ज्ञान का भजन करना बहुत जरूरी है।आपने देखा होगा बहुत से लोग चीज खरीदते हैं और उनका उपयोग नहीं करते। हमने खरीदी और रख दी तो जब उसका उपयोग ही नहीं करेंगे, तब उसका लेना,न लेना बराबर हो गया। इसलिए गुरु दरबार में जो भक्त श्रद्धा से सेवा करता है उसका निश्चित रूप से भजन में मन भी लगता है और उसका निश्चित रूप से कल्याण होता है।
महाराज श्री ने आगे कहा कि जैसे स्वच्छता अभियान में हम कूड़ा, कचरा हटा कर सफाई करते हैं, उसी प्रकार अपने अंदर का भी कूड़ा हमें बाहर निकाल कर फेंकना पड़ेगा। अंदर की स्वच्छता भी हमें करनी होगी। जब हमारा मन स्वच्छ होगा, निर्मल होने लगेगा तो धीरे-धीरे यह संसार हमें प्रभुमय दिखाई देने लगेगा। हम कभी किसी जीव या प्राणी का अनहित नहीं करेंगे। इसलिए जीवन में हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि गुरु के द्वारा बताए हुए आध्यात्मिक मार्ग को आत्मसात कर अपने जीवन को तो सफल बनाएंगे ही तथा दूसरों के प्रति करुणा, प्रेम, दया, क्षमा का भाव रखते हुए तथा अध्यात्म के मार्ग से जोड़ते हुए उसे भी आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे, यही आध्यात्मिक ज्ञान सिखाता है, बताता है।
श्री महाराज ने बताया कि प्रत्येक धाम का दुर्घटना बीमा 2.50 (ढाई करोड़) करोड का निर्धारित किया गया है। दर्शनार्थियों की सुरक्षा बीमा के तहत मानव उत्थान सेवा समिति ने बीमा प्रीमियम की धनराशि सेवाकर सहित 3,67,995 (तीन लाख सड़सठ हजार नौ सौ पिचानबे) की धनराशि का चैक श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति को सौंप दिया है।
गुरुपूजा महोत्सव के अवसर पर में श्री महाराज जी ने वृक्षा रोपण करते हुए सभी को पर्यावरण की रक्षा के लिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित किया।
समारोह में पूज्य माता श्री अमृता जी व पूज्य श्री विभु जी महाराज ने भी भक्त समाज को अपने सारगर्भित विचारों से ज्ञान प्राप्त कर ईश्वरीय साधना व गुरु दरबार की सेवाओं को करने के लिए मार्गदर्शन किया।
कार्यक्रम से पूर्व श्री महाराज जी, पूज्य माता श्री अमृता जी व अन्य विभूतियों का माल्यापर्ण कर स्वागत किया गया। सत्संग में अनेक संत-महत्माओं व विद्वानों ने अपने विचार रखे। मंच संचालन महात्मा श्री हरिसंतोषानंद जी ने किया।