जब बीस वर्ष बाद आई सौर लहर "ऑरोरा" ने यूके को चमत्कृत कर दिया

 (एडिनबरा , यूके से रश्मि पाठक)

    यूनाइटेड किंगडम। प्रायः वर्ष में दो बार होने वाली एक   आकाशीय घटना गत्  सप्ताह यूके के   निवासियों को रोमांच से भर गई । यह घटना थी-ऑरोरा का  आगमन।बारह मई दोहजार चौबीस की तारों भरी रात्रि में यूके का सारा आकाश चमकदार विभिन्न रंगों में रंग गया।लोग दिवानों की तरह इस दृश्य को देखने के लिए उमड़ पड़े।

लगभग बीस वर्ष बाद ऑरोरा अपने पूरे वैभव के साथ आया था।  खुली आँखों के सामने,  सिर के ऊपर, आकाश में जहाँ देख सकते हो वहाँ रंगों का एक के बाद एक बिखरना और सिमटना अद्भुत दृश्य उत्पन्न कर रहा था।

पहली बार देखने वालों के लिए यह बेहद रोमांचक दृश्य था।क्योंकि सुनीं -पढ़ी घटना का प्रत्यक्षदर्शी बिरले हो पाते हैं। "क्या है यह ऑरोरा ?"

      सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि यह  धरती के उत्तरीय ध्रुवीय क्षेत्र से आने वाले प्रकाश की विभिन्न रंगों वाली धाराएँ हैं। यह प्राकृतिक प्रकाश,  सूर्य पर अचानक होने वाली हलचल  (आम भाषा में चिंगारी कह सकते हैं)  है,   जिन्हें सौर पवन तथा चुम्बक गोलिय प्लाज़्मा अप्रत्याशित तेज़ी से वायुमंडल के ताप मंडल में भेज देते हैं।    पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में पहुँचने के कारण इनकी ऊर्जा कम हो जाती है,  इस कारण अलग- अलग रंगों में बदल जाते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में दो मुख्य गैस होती हैं-ऑक्सीजन व नाइट्रोजन।  ऑरोरा की लहर में हरा रंग ऑक्सीजन के कारण तथा बैंगनी, नीला, गुलाबी रंग नाइट्रोजन के कारण बनते हैं।अधिक प्रबल ऑरोरा के समय  चमकीले लाल रंग में बदल जाता है। यह प्राकृतिक घटना आदिकाल से होती आई है लेकिन इसका रोमांच कम नहीं हुआ। इसके प्रत्यक्षदर्शी होने के लिए विदेशी भी आते हैं। मौसम साफ़ न होने के  उन्हें बहुत बार निराश लौटना पड़ता है। यह कहाँ, किस स्थान पर दिखाई देगा यह भी निश्चित नहीं होता। अपने रहने के स्थान से मंज़िल तक पहुँचने में समय लगता है।   शीतकाल में, अर्धरात्रि में उनींदा होकर बैठना बहुत थका देता है। लेकिन इस बार बीस वर्ष पश्चात ग्रीष्मकाल में, पूरे यूके को ऑरोरा ने चमत्कृत कर दिया।यहाँ हर क्षेत्र की हर दिशा में विभिन्न रूप- रंग में रंगा आकाश उत्सुक नागरिकों ने दीवानों की तरह देखा।

     वैज्ञानिक दृष्टिकोण से - ये सौर तूफ़ान पिछले बीस वर्षों में सबसे ख़तरनाक तूफ़ान है। यह x5.8 क्लास की सौर लहर है। इसे काफ़ी ख़तरनाक लहर माना जाता है।

प्रस्तुति

सुशील कुमार शर्मा, स्वतन्त्र पत्रकार,  गाजियाबाद