हमें अपने महान साहित्यकारों को स्मरण करते रहना चाहिए - डॉ नीरज कृष्ण

गाज़ियाबाद। नववर्ष विक्रम संवत् 2081 के स्वागत में अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान ने एक काव्य-गोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया।संस्थान पिछले एक दशक से निरंतर काव्य-गोष्ठियों, कथा-गोष्ठियों एवं साहित्यिक परिचर्चाओं का आयोजन करता आ रहा है।संस्थान के महासचिव प्रवीण कुमार के आरडीसी स्थित कार्यालय पर यह अविस्मरणीय गोष्ठी संपन्न हुई।

    इस गोष्ठी की अध्यक्षता भोपाल से आए सुप्रसिद्ध गीतकार दिनेश भदौरिया ‘शेष’  ने की।विशिष्ट अतिथि पटना से आए चर्चित लेखक-पत्रकार डॉ नीरज कृष्ण रहे।इस ख़ास अवसर पर बोलते हुए दिनेश भदौरिया ‘ शेष’ ने कहा कि ग़ाज़ियाबाद शहर के साहित्यिक परिवेश को समृद्ध बनाने में अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान उल्लेखनीय भूमिका अदा कर रहा है।अपने कई गीत-ग़ज़ल पढ़ते हुए उन्होंने कहा-

दूर मुझसे चला गया कोई

दिल मेरा फिर गया दुखा कोई

ग़ैर की बात ही करें क्या हम

दे गया है दगा सगा कोई

डॉ नीरज कृष्ण ने हिंदी के महान साहित्यकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से नई पीढ़ी को परिचित कराए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।इस संदर्भ में उन्होंने अपनी एक ख़ास योजना का ज़िक्र करते हुए बताया कि अब तक वह क़रीब सौ से ज़्यादा साहित्यकारों की जीवनियाँ तैयार कर चुके हैं।

   आजकल पत्रिका के पूर्व संपादक डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा ने वर्तमान दौर में मौलिकता के संकट की ओर इशारा करते हुए कहा कि साहित्यिक समाज में चोरी आम बात हो गई है।लोग बड़ी बेशर्मी से दूसरे की रचना में थोड़ा फेरबदल करके उसे अपनी रचना बता कर सुना रहे हैं।पाठक व श्रोता उनकी चोरी को पकड़ नहीं पाते हैं।लेकिन इस प्रवृत्ति से साहित्य का बड़ा नुकसान हो रहा है।अपना  एक गीत सुनाते हुए उन्होंने उपरोक्त पीड़ा को कुछ इस तरह बयान किया-

इस पराभव के समय में 

है बहुत बेचैन कविता 

उसे अपना स्वयं का चेहरा

अपरिचित लग रहा है

संस्थान के संस्थापक व वरिष्ठ गीतकार डॉ धनंजय सिंह ने अपनी एक पचास साल पुरानी ग़ज़ल पढ़ते हुए कहा-

मन की तो सारी भाषाएँ मन से आप गही जाती हैं

कुछ पीड़ाएँ यों होती हैं जो चुपचाप सही जाती हैं

अपनों को अपना सम्बोधन कुछ ऐसी ही कठिन बात है

कुछ बातें ऐसी होती हैं जो अनकहे कही जाती हैं!

     गोष्ठी में करीब 12 कवियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराते हुए बहुरंगी रचनाओं का पाठ किया।काव्य पाठ करने वालों में दिनेश भदौरिया ‘ शेष’, डॉ नीरज कृष्ण, डॉ धनंजय सिंह, डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा, डॉ रमेश कुमार भदौरिया, डॉ लाल रत्नाकर, वेद शर्मा वेद, विपिन जैन, विष्णु सक्सेना, सविता शर्मा, दीपक श्रीवास्तव  एवं प्रवीण कुमार शामिल रहे।

    संचालन संस्थान के महासचिव प्रवीण कुमार ने किया।इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार व लेखक अमरेन्द्र राय, नवग्रह टाइम्स के प्रधान संपादक सैय्यद अली मेंहदी  व वित्तीय सलाहकार पुनीत श्रीवास्तव व भी उपस्थित रहे।