खेल और खिलाड़ियों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं - नमह

गाजियाबाद। लोकसभा चुनाव को लेकर प्रचार और जनसंपर्क का दौर तेज होता जा रहा है। अब प्रत्याशियों के पास मतदाताों के पास पहुंचने के लिए कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में प्रत्याशी समाज से सभी वर्गों तक पहुंचकर अपनी छाप छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में समाज विकास क्रांति पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी नमह ने कुश्ती खिलाड़ियों से मुलाकात की। उन्होंने कुश्ती खिलाड़ियों को आश्वास दिया कि अखाड़ों और कुश्ती खिलाड़ियों के उत्थान के लिए आंदोलन की तरह की काम किया जाएगा। 

समाज विकास क्रांति पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी नमह स्वयं पूर्व रेस्लर और वेट लिफ्टर हैं। उन्होंने कई मुकाबले जीते हैं और उनके पास सैकड़ों मेडल और ट्रॉफी हैं। नमह स्वयं खेलों से जुड़े रहे हैं इसलिए उनका खिलाड़ियों प्रति रुझान है। उनका अभिवादन का स्गोलन भी स्वस्थ रहो, खुश रहो है। नमह ने खिलाड़ियों से मुलाकात के दौरान कहा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है। इसलिए खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देना जरूरी है। 

आज हरियाणा और यूपी के खिलाड़ी देश विदेश में नाम कमा रहे हैं। देश की खेल नीति में कुछ बातें ऐसी हैं जिनके कारण कई बार अच्छी प्रतिभाएं अपने गांव या प्रदेश में ही दम तोड़ देती हैं। उन्हें नेशनल या इंटर नेशनल खेलने तक का मौका नहीं मिलता। कई बार आर्थिक परेशानी के कारण या फिर किन्ही और कारणों से खिलाड़ियों को बेहतर प्रैक्टिक का माहौल नहीं मिल पाता है। सरकारी स्तर पर खिलाड़ियों को स्टेट का नेशनल लेवर पर पहुंचने पर ही प्रैक्टिस के लिए बेहतर कोच और संसाधन मिल पाते हैं। तब तक खिलाड़ियों को अपने संसाधनों से ही प्रैक्टिस करनी होती है। 

नमह ने कहा कि सांसद बनने के बाद वह खिलाड़ियों के लिए आंदोलन स्तर पर काम करेंगे और लोकल स्तर पर भी खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं दिलवाने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा नमह ने दिल्ली पुलिस के यूपी के पहलवानों को लेकर की गई टिप्पणी पर भी नाराजगी जताई। दिल्ली पुलिस ने यूपी पुलिस के साथ बैठक करके कहा था कि चुनावों के दौरान यूपी के पहलवानों को दिल्ली आने से रोका जाए, इससे दिल्ली में चुनावी माहौल खराब हो रहा है। इस पर नमह का कहना है कि पहलवान एक संन्यासी जीवन जीते हैं। वह घर से दूर रहकर देश के लिए पदक जीतने के लिए घंटों पसीना बहाते हैं। ऐसे पहलवानों के  बारे में कुछ भी कहने से पहले दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए था कि जो मसल्समैन दिल्ली में पहुंच रहे हैं वह पहलवान हैं या फिर बाउंसर। क्योंकि बाउंसर अपने शरीर का प्रदर्शन करके धन अर्जित करने के लिए काम करते हैं, जबकि पहलवान धन अर्जित करने के लिए नहीं बल्कि देश का नाम रोशन करने के लिए काम करते हैं।