गाजियाबाद। जीपीए प्रदेश के अभिभावको के शिक्षा से जुड़े सभी प्रकार के मुद्दे उठाने और शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए मजबूती से आवाज बुलंद करने के लिए जानी जाती है। गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी और ट्रांस हिंडन प्रभारी सतीश कुमार का कहना है की प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों की मोटी फीस और मनमानियो पर अंकुश लगाने के लिए 6 साल पहले फीस अधिनियम- 2018 बनाकर मीडिया में सुर्खियां बटोरी थी।
उस समय प्रदेश के अभिभावकों को भी लगा था की अब उनको निजी स्कूलों की मोटी लूट और मनमानियो से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन 6 साल बाद भी फीस अधिनियम -2018 प्रदेश में लागू नहीं हो पाया है जिसके कारण पैरेंट्स को इस बिल का कोई लाभ नहीं मिला है और निजी स्कूलों की लूट बदस्तूर जारी है। फीस अधिनियम- 2018 के अध्याय दो,विद्यालयों में प्रवेश एवम शुल्क की धारा - 3 की उपधारा- 10 एवम उपधारा -11 में साफ साफ उल्लेखित किया गया है कि किसी भी छात्र को पुस्तके , जूते , मोजे, यूनिफॉर्म आदि को किसी विशिष्ट दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जायेगा एवम विद्यालय द्वारा पांच निरंतर शक्षणिक वर्षो के भीतर विद्यालय पोशाक में परिवर्तन नहीं किया जायेगा। उसके बाद भी निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को अपनी ही बताई दुकान से किताब कॉपी, यूनिफॉर्म ,जूते , मोजे , स्टेशनरी खरीदने के लिए विवश किया जाता है इतना ही नही कुछ स्कूल तो ऐसे है जो अपने ही स्कूल प्रांगण में किताबो एवम स्टेशनरी की खुलेआम बिक्री करते है, लेकिन ना तो सरकार ही और ना ही कोई शिक्षा अधिकारी इन निजी स्कूलों पर कार्यवाई करने की हिम्मत दिखा पाता है। जिसके कारण हर साल करोड़ो अभिभावक प्रदेश के निजी स्कूलों के हाथो लूटने को मजबूर है और प्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया फीस अधिनियम प्रत्येक जिले में लागू होने की बाट जोह रहा है। गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के करोड़ो अभिभावकों की तरफ से प्रदेश के मुख्यमंत्री जी से निवेदन करती है की प्रदेश के प्रत्येक जिले में फीस अधिनियम -2018 को पूर्ण रूप से लागू कराया जाए और जो अधिकारी इस बिल को लागू करने में लापरवाही अथवा उदासीनता दिखाता है, उस पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। जिससे की इस बिल के माध्यम से प्रदेश के करोड़ो अभिभावकों को निजी स्कूलों की मोटी लूट से मुक्ति मिल सके।