आत्मज्ञान से ही भक्ति मार्ग में प्रशस्त हो सकते हैं -श्री सतपाल महाराज

मुरादनगर,25 मार्च। गंग नहर स्थित सतलोक आश्रम के श्री हंस इंटर कॉलेज प्रांगण में होली महोत्सव पर मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में अंतिम दिवस पर सत्संग समारोह में उपस्थित अपार जनसमुदाय को संबोधित करते हुए सुविख्यात समाजसेवी व आध्यात्मिक गुरु श्री सतपाल जी महाराज ने कहा कि जब किसी बालक का विकास होता है और वह बड़ा होता है तथा ज्ञान अर्जन करता है तो उसके अंदर परिपक्वता आती है।इसी प्रकार से भक्ति मार्ग में भी आत्मज्ञान के अर्जन से व्यक्ति प्रशस्त हो सकता है।

उन्होंने कहा कि जैसे नारद जी ने भक्त प्रहलाद को ज्ञान देकर भक्ति मार्ग पर चलने की आज्ञा दी तो वह चल पड़ा फिर पीछे मुड़कर उसने नहीं देखा और अपने जीवन में सफलता हासिल की। नरेंद्र भी स्वामी रामकृष्ण परमहंस की शरण में गए और जब उन्होंने शिक्षा दी तो वे चल पड़े और देखो शिकागो में जाकर जब उन्होंने अपना उद्बोधन दिया तो उस समय जितने भी वक्ता  मंच से जनता जनार्दन को संबोधित करते थे तो वह यही कहते थे कि भद्र पुरुषों और भद्र नारियों जब विवेकानंद खड़े हुए तो एक सनातन धर्म का साधु मंच पर खड़ा हुआ और अपना संबोधन देने से पहले उन्होंने कहा अमेरिका के मेरे भाइयों और बहनों सभी को भाई और बहन कहने वाला वही व्यक्ति होता है जो भगवान को एक पिता माने  और सबको भगवान की संतान माने तभी हम भाई और बहन होंगे। स्वामी विवेकानंद ने जब संबोधन किया तो दस मिनट तक सभागार के अंदर तालियों की गड़गड़ाहट गुंजायमान होती रही। उन्होंने जब अपनी बात कही कि मैं भारत से आया हूं जिस देश के अंदर वेद प्रकट हुए सबसे प्राचीन पुस्तक, सबसे पुरानी पुस्तक वेद कहे जाते हैं, यह भी माना जाता है कि उनको लिखा नहीं गया। हमारे ऋषि मुनियों को जो अनुभव हुआ, उसी का उन्होंने बखान किया, लोगों ने उसको सुना और सुनकर के याद किया। इसलिए हम उसको श्रुति और स्मृति कहते हैं। श्रुति मायने सुनना और स्मृति मायने याद करना। इसी प्रकार से सारे वेद जो थे,वह केवल मात्र याद किए गए।

श्री महाराज जी ने कहा कि परमपिता परमात्मा प्रकाश स्वरूप हैं, उसी प्रकाश स्वरूप का दर्शन पूर्ण सदगुरु देव महाराज कराते हैं। उनके द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलकर जब एक साधक साधना करता है तो उसके जीवन में एक रूपांतरण होता है और सब जगह परमात्मा के स्वरूप को देखता है। हम सब भी अपने जीवन में उसे प्रकाश स्वरूप को देख सकते हैं। जब एक साधक अपने अंदर स्वयं अनुभव करता है, प्रकाश का ध्यान करता है, तब उसका कल्याण होता है।

समारोह के मुख्य अतिथि विधायक व गाज़ियाबाद लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी श्री अतुल गर्ग जी ने कहा कि श्री महाराज जी का समय समय पर हमें आशिर्वाद मिलता रहा है।उन्होंने कहा कि राम की कृपा भी उसे ही मिलती है,जिस पर गुरु की कृपा होती है।

मुख्य अतिथि श्री अतुल गर्ग जी, विधायक प्रतिनिधि राजेन्द्र मित्तल जी मेदी वाले,विपिन त्यागी,जिला शासकीय अधिवक्ता।प्रभारी उत्तर प्रदेश एवम उत्तराखंड अधिवक्ता परिषद का संस्था द्वारा फूल मालाओं से स्वागत किया गया गया। स्वागत करने वालों में विनोद मित्तल जी, ओ.पी.शर्मा जी, अवधेश मित्तल जी, जगदीश जी, के.पी.सिंह जी आदि थे।

कार्यक्रम में नरसिंह भगवान व भक्त प्रह्लाद पर एक लघु नाटिका  का मंचन किया गया।

दिन में श्री महाराज जी, श्रीमाता जी व अन्य विभूतियों ने भक्तों पर रंग गुलाल डालकर होली पर्व मनाया।

       कार्यक्रम से पूर्व श्री महाराज जी, माता श्री अमृता जी, श्री विभुजी महाराज , माता आराध्या जी का माल्यार्पण का स्वागत किया गया। मंच संचालन महात्मा हरिसंतोषानंद जी ने किया।