आत्मज्ञान से ही मनुष्य का कल्याण संभव है - महात्मा ज्ञानशब्दानंद

गाज़ियाबाद। स्थानीय नंदग्राम श्यामपार्क बी ब्लॉक में मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में नववर्ष 2024 के अवसर पर और श्रीयांश जी पावन जन्मोत्सव पर आयोजित महान सत्संग समारोह में सदगुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज के आत्मानुभवि संत श्री ज्ञानशब्दानंद जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सदगुर से आत्मज्ञान की दीक्षा लेकर साधना करने से ही मनुष्य का कल्याण संभव है।

उन्होंने कहा कि हम बाहरीय, पूजा पाठ आदि तो खूब कर रहे हैं, मगर परिवर्तन नहीं हो रहा है। उसका कारण एक इच्छा पूरी होती है, दूसरी इच्छाएं जन्म ले लेती है। महात्मा जी ने रावण का उदहारण देते हुए कहा कि रावण बहुत विद्वान था किन्तु केवल बाहरीय साधनों के करने से उसकी ही मन: स्थिति अनुचित व मर्यादाहीन सोच ग्रस्त रही।

उन्होंने कहा कि हम राम को तो मानते हैं, कृष्ण को मानते हैं मगर उनकी बात को नहीं मानते, तो मनुष्य का कल्याण कैसे होगा?

माहत्मा जी ने उपस्थित, श्रद्धालुओं से पूछा परमात्मा आपके अंदर है या बाहर? सभी ने कहा अंदर है। महात्मा जी समाधान बताया कि वह ईश्वर हमारे अन्दर है। महात्मा जी ने कहा कि जब ईश्वर जब अन्दर है तो वह बाहर की पूजा-पाठ से कैसे मिल पाएगा? उन्होंने कहा कि उसे अंदर ही खोजना होगा। मन की पीड़ा केवल बाहरीय साधनों से दूर नहीं होगी।बल्कि अंतरमुखी होकर साधना करने से होगी।

गर्भ में जीव जब उल्टा लटका होता है, परमात्मा से प्रार्थना करता है कि मुझे इस विकट पारीस्थिति से बाहर निकाल मेरी रक्षा करो और जीव वायदा करता है कि बाहर आकर में आपका भजन-सुमिरण करूंगा, किन्तु गर्भ से बाहर आकर भगवान को भूल जाता है।

महात्मा जी ने स्पष्ठ किया कि, भजन सुमिरण, वास्तविक साधना  ज्ञान जानने के लिए, व्यवहारिक  अनुभव प्राप्त करने हेतु समय के सद्गुरु की आवश्यकता होती है।समय के सद्गुरु ही व्यवहारिक ज्ञान दे सकते हैं।और हम सभी उस आत्मिक अनभुव को प्राप्त कर सकते हैं। जिससे मन पवित्र होने लगता है संसार के विकार नष्ट होने लगता है, और पुरमात्मा के प्रति भी प्रेम उपजता है, वही अनुभव संसार को बदलने की भी क्षमता रखता है। 

महात्मा जी ने कहा कि अगर परिवर्तन चाहते हो, सुख, शान्ति व आनन्द चाहते हो तो परमात्मा के पावन नाम को जानो और खूब भजन-सुमिरण करो।

गाज़ियाबाद आश्रम प्रभारी महात्मा दीपांजलि बाई जी ने अपने विचारों द्वारा उपस्थित भक्त समुदाय को भक्तिमार्ग में चलने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम से पूर्व को पूज्य महात्मा जी का माल्यापर्ण व स्वागत सत्संग आयोजक श्री विनोद शर्मा जी साथ कार्यकर्त्ता श्री विजय शर्मा जी, श्री मदन गोपाल जी, श्री हरिनंद त्यागी जी ने किया, साथ ही पूजनीय बाई जी का माल्यापर्ण कर स्वागत श्रीमती उषा शर्मा, श्रीमती नत्थो देवी, श्रीमती सावित्री वर्मा, श्रीमती बिर्जेश,श्रीमती रेखा शर्मा ने किया।मंच संचालन श्री जगदीश जी ने किया।