कथा रंग के कथा संवाद में प्रख्यात लेखक से. रा. यात्री को दी गई श्रद्धांजलि

नए लेखक शास्त्रीयता के बजाए लोक में पैठ बनाएं - सूर्यनाथ सिंह 

गाजियाबाद। वरिष्ठ लेखक व पत्रकार सूर्यनाथ सिंह ने कथा संवाद को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व भर में कहानी के जनक हम हैं लेकिन आधुनिक कहानी इसका भारतीय स्वरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि नए लेखकों को शास्त्रीयता के बजाए लोक में पैठ बनाने वाली रचनाएं देने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि लोक साहित्य पीढ़ियों तक जिंदा रहता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री सिंह ने कहा कि आज का रचनाकार अपने समय को रचने के साथ ही मनुष्यता को भी रच रहा है। मुख्य अतिथि वरिष्ठ लेखक व पत्रकार विकास मिश्रा ने कहा कि कहानी पानी की तरह प्रवाहित होती दिखाई देनी चाहिए, बर्फ की तरह स्थूल नहीं। उसकी रवानगी से लगना चाहिए कि गंगा गंगोत्री से उतर कर गंगा सागर तक जा रही है।

  होटल रेडबरी में कथा रंग की ओर से आयोजित 'कथा संवाद' में विकास मिश्रा ने कहा कि लोक को प्रभावित करने वाली रचना वह होती है जिन्हें पान का खोखा या चाय की दुकान चलाने वाला भी उठा ले। उन्होंने कहा कि कहानीकार या कवि की कोई आयु नहीं होती, जिनके मन में प्रेम है वही रचनाकार हो सकता है। कथा संवाद में शिवराज सिंह, शकील अहमद, तेजवीर सिंह, सिमरन, विनय विक्रम सिंह एवं विकास मिश्रा ने रचना पाठ किया। पढ़ी गई कहानियों पर चर्चा करते हुए विकास मिश्रा ने कहा कि लेखक को बॉडी शेमिंग से बचने के साथ ही स्त्री के चित्रण में प्रयुक्त शब्दावली के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए। मोटी, काली, भद्दी जैसे शब्द या गालियों के अनावश्यक प्रयोग से बचना चाहिए। 

सूर्यनाथ सिंह ने कहा कि आज के दौर में आलोचक नहीं रहे हैं। लेखक ही आलोचक हो गए हैं। लिहाजा नए रचनाकारों को आलोचना से नहीं घबराना चाहिए। उन्होंने कहा कि कथा संवाद जैसे आयोजन ही भविष्य के रचनाकारों को गढ़ने और आगे बढ़ने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। 

  सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने कहा कि नए लेखकों को लेखन में हाथ आजमाने से पहले जमकर पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के अधिकांश लेखक देखी गई घटनाओं या भोगे हुए यथार्थ को रचना में ज्यों का त्यों उतार देते हैं। जबकि रचना में अतार्किक प्रसंग को विस्तार देने से बचना चाहिए। विमर्श में सुरेंद्र सिंघल, आलोक यात्री, सुभाष अखिल, सत्यनारायण शर्मा, सुधा गोयल, उत्कर्ष गर्ग, नेहा वैद, सिनीवाली, अक्षरावरनाथ श्रीवास्तव, कल्पना कौशिक, के. के. जायसवाल, रेणु अंशुल, तुलिका सेठ, राजीव कुमार वर्मा व रवीन्द्र कुमार रवि ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन रिंकल शर्मा ने किया। इस अवसर पर अद्विक प्रकाशन की ओर से प्रकाशित डॉ. हरविंदर मांकड़ की पुस्तक 'सफरनामा' का लोकार्पण करने के साथ प्रख्यात लेखक से. रा. यात्री को श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई। इस अवसर पर अशोक गुप्ता, शस्या मिश्रा, संजीव शर्मा, प्रभात चौधरी, वी. के. राठौर, अविनाश, अंशुल अग्रवाल, ए. आर. जैदी, देवव्रत चौधरी, सुमित्रा शर्मा, टेकचंद, सागर अग्रवाल, प्रवीण त्यागी, अरविंद मेहता एवं दिनेश कुमार खोजांपुरी सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।