जीपीए की मुहिम "आरटीई के दाखिले' पर बाल आयोग की डीएम पर सख्ती

गाजियाबाद। जीपीए द्वारा निशुल्क एवम अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 ( आरटीई ) के तहत चयनित बच्चों को शिक्षा का अधिकार  दिलाने के लिए प्रयास रुकने का नाम ही नही ले रहे जिसका एक और प्रमाण देखने को मिला।

 मामला है गाजियाबाद के नामी स्कूल दिल्ली पब्लिक स्कूल , लोनी साहिबाबाद का जिसमे अभिभावक राहुल की पुत्री का चयन आरटीई एक्ट 2009 की धारा 12 (1 ) सी के अंतर्गत मॉर्च महीने में लाटरी के माध्य्म से पहली सूची में अलाभित समूह में प्री- प्राइमरी में हुआ था लेकिन सूची को आये 9 महीने बीत जाने के बाद भी जिलाधिकारी से लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी तक स्कूल प्रबंधन की मनमानी के आगे खाली हाथ है ,इतना ही नही अपनी बेटी की शिक्षा के लिए पिता को स्कूल प्रबंधन द्वारा जाती सूचक शब्दो की यातना भी झेलनी पड़ी।

 लेकिन तमाम मीटिंग और कोशिशों के बाद भी ना तो जिले के बड़े अधिकारी बच्ची का दाखिला ही करा पाये और ना ही स्कूल पर कार्यवाई करने की हिम्मत दिखा सके इस पूरे प्रकरण की शिकायत गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग , नई दिल्ली से की गई जिस पर आयोग द्वारा जिलाधिकारी को लगातार दो पत्र भेजकर दाखिले पर जबाब मांगा गया लेकिन डीएम द्वारा आयोग को कोई जबाब नही भेजा गया है, जिस पर अब आयोग ने सख्ती दिखाते हुये तीसरे पत्र के माध्य्म से जिलाधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर 5 दिन के अंदर जबाब मांगा है और नही देने पर सी.पी.सी.आर अधिनियम 2005 की धारा 14 के तहत कार्यवाई की चेतावनी दी है। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी और सचिव अनिल सिंह का कहना है आरटीई के शत शत दाखिले कराने की पूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार और जिले के अधिकारियों की है आरटीई के तहत चयनित  एक भी बच्चा शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित नही रहना चाहिए । हम उम्मीद करते है कि आयोग के कारण बताओ नोटिस को जिलाधिकारी गंभीरता से लेकर बच्ची का दाखिला कराएंगे और दाखिला नही लेने पर स्कूल पर सख्त कार्यवाई करने का पत्र आयोग को भेजेंगे । गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की शिक्षा के लिए जीपीए के प्रयास जारी रहेंगे।