विश्व में आज सनातन धर्म के प्रचार की नितांत आवश्यकता है - श्री सतपाल जी महाराज

नजफगढ़/नई दिल्ली 4 नवम्बर।आज पुरे विश्व पर महायुध्द का खतरा मंंडरा रहा हैं,कहीं रशिया—युक्रेन कहीं इस्राईल—हमास  की लड़ाई में हजारो बेगुनाह लोग मारे जा रहे हैं।जिसके कारण विश्व में महायुध्द का खतरा मंडराने लगा है जो मानवीय सभ्यता के लिए विनाशकारी है।  ऐसे में सनातन धर्म को जानने वालों का यह कर्तव्य हो जाता हैं कि वे सब सनातन धर्म के प्रचार में तेजी लाये जो 'वसुधैव कुटुंबकम' तथा 'जियो और जीने दो' की शिक्षा देता है। यह विचार श्री हंस जयंती के अवसर पर आयोजित त्रिदिवसीय सदभावना सम्मेलन के दूसरे दिन  आध्यात्मिक गुरु व सुविख्यात समाजसेवी श्री सतपाल जी महाराज ने व्यक्त किये।

  पंडवाला कलॉं स्थित श्री हंसनगर आश्रम में तीन दिवसीय 'सद्भावना संमेलन' का आयोजन किया जा रहा है, इसमें भाग लेने के लिए भारत के हर राज्य के अलावा अमेरिका, मॉरिशस और हॉंगकॉंग से हजारों प्रतिनिधि आये हैं।

 श्री महाराज जी ने संपूर्ण विश्व में  'आत्मज्ञान' का प्रचार करने का अभियान छेडा हुआ है। उनका मानना है कि 'आत्मज्ञान' सनातन धर्म की मूल आत्मा हैं, जिसका ज्ञान हुये बगैर सनातन धर्म को समझा नहीं जा सकता।

इस अवसर पर  श्री महाराज जी ने कहा कि पिछले पांच दशकों से भी ज्यादा समय से प्रति वर्ष नवंबर माह में 'श्री हंस जयंती' के उपलक्ष्य में त्रिदिवसीय 'सद्भावना संमेलन' का आयोजन किया जा रहा हैं। अभी तक यह आयोजन नई दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में होता था। किंतु कार्यक्रम में बढती जनसंख्या से जगह छोटी पडने लगी ,इस वजह से अब यह कार्यक्रम पंडवाला कलॉं के श्री हंसनगर आश्रम के प्रांगण में किया जा रहा हैं।

सतपाल जी महाराज ने कहा कि जब विनाशलीला के बादल मंडराने लगे तब ऐसे में सनातन धर्म को जानने वालों का यह परम कर्तव्य हो जाता हैं कि वे सनातन धर्म का प्रचार और तेजी से व्यापक रूप में करे। क्योंकि भारत ही ऐसा देश हैं जो पुरे विश्व को अपना परिवार मानता हैं ,'सर्वे भवन्तु सुखिनं सर्वे संतु निरामया' की भावना हमारे ऋषी—मुनियों ने वेद, उपनिषद और धर्मशास्त्रों के माध्यम से दी है।

उन्होने आगे कहा कि भारत पर भी कई बार आक्रमण हुए, नालंदा के 10  हजार से ज्यादा बौध्द विहार जला दिये गये। एक हजार से ज्यादा आचार्यो के सर कलम कर दिये गये। इस तरह के आक्रमण कई बार हुयें। इसके बावजूद कोई भी आक्रमणकारी हमारे सनातन धर्म को समाप्त नहीं कर सका।क्योंकी सनातन धर्म अनंत है जिसका अंत नहीं हो सकता। सनातन धर्म था, है और रहेगा।

 विश्व में महायुध्द होनेपर  अणुबम फोडने की कई देशों द्वारा दी जा रही धमकी पर अपने विचार रखते हुए श्री महाराज ने कहा कि वैज्ञानिकों के शोध से यह बात सिध्द हुई है की तुलसी में अनुबम के रेडिएशन को कम करने क्षमता हैं।उन्होने यह भी कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या ने भी हमारे सामने अस्तित्व का संकट पैदा कर दिया है।जिसके लिए हमें पर्यावरण के लिए प्रदूषण को समाप्त करने के लिए कार्य करना होगा।

सम्मेलन में श्री विभु जी महाराज जी ने कहा कि सनातन धर्म का ज्ञान ही हमें एक ऐसी दिशा दिखा सकता हैं जो संपूर्ण मानव जाति के हित की हो।उन्होने इस बात पर खास जोर देकर कहा कि सनातन धर्म कोई बाह्य कर्मकांड की वस्तु नहीं हैं बल्कि वह अंतर्जगत में प्रवेश कर कई शोध का अविष्कार करने का मार्ग हैं, जिसें हमारे ऋषि—मुनियों ने करके दिखाया हैं।

 सम्मेलन में श्री महाराज जी, माता श्री अमृता जी,श्री विभुजी महाराज,श्री सुयश जी महाराज व अन्य विभूतियों का फूल माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।मंच संचालन महात्मा हरिसंतोषानंद जी ने किया।