जब पत्रकारों के निमंत्रण पर दिग्गज फिल्मी सितारे सुनील दत्त, वैजयंती माला सहित अनेक अभिनेता- अभिनेत्री गाजियाबाद में आये थे

(सुशील कुमार शर्मा, स्वतन्त्र पत्रकार)

  गाजियाबाद। वर्ष 1987 में गाजियाबाद जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने वसंत सिनेमा हॉल में *गीतों भरी शाम* का आयोजन किया था। जिसमें  दिग्गज अभिनेता व अभिनेत्री शामिल हुए। सुनील दत्त,वैजयंती माला, मनोरमा, शोभा आनंद , सुरेन्द्र पाल, बिजेंद्र घाटगे, सतीश कौल सहित एक दर्जन से अधिक नामी सितारे शामिल हुए। टी-सीरीज ने अपने उस समय के चहेते गायक व गायिकाओं की टीम विपिन सचदेवा, निहारिका नायडू व वंदना वाजपेई , एनाउंसर करूणेश को म्यूजिक के सिस्टम के साथ भेजा था। यह आयोजन हमने अपने दिवंगत साथी पत्रकार नाहर सिंह चौधरी के परिवार के सहायतार्थ आयोजित किया था। दिग्गज अभिनेता व राजनेता सुनील दत्त ने पत्रकार की विधवा पत्नी सरोज चौधरी व उनकी बेटी वंदना चौधरी को गाजियाबाद जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन की ओर से 50,000/-  का चैक दिया। दत्त साहब ने अपने संबोधन में भविष्य में ऐसे आयोजनों में स्वयं भी सहयोग की घोषणा की थी। 

उल्लेखनीय है यह आयोजन हमने जिन सहयोगियों से धन एकत्र किया था उनके परिवार के मनोरंजन के लिए भी किया था। सभी सितारे उस समय गाजियाबाद के तत्कालीन सांसद के. एन. सिंह के माध्यम से आये थे। वह तब महाराष्ट्र के पार्टी प्रभारी थे। महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार थी। मुरली देवड़ा तब वहां कांग्रेस अध्यक्ष थे। महाराष्ट्र में चुनाव की घोषणा हो चुकी थी तब भी इतने सितारे आये थे। सभी सितारों के बम्बई से आने- जाने और दिल्ली के फाइव स्टार होटल में रूकने की व्यवस्था भी के. एन. सिंह की ओर से करायी गयी थी। दिल्ली से कार से लाने और उन्हें वापस उनके होटल तक छोड़ने की जिम्मेदारी पत्रकारों ने स्वयं संभाली। उस दिन मनोरंजन विभाग से वसंत सिनेमा के सभी शो बंद करा दिए गए थे। सिनेमा हॉल में प्रवेश गाजियाबाद जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के निमंत्रण पत्र से था। सभी गेटों पर पत्रकारों को ही जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अपार भीड़ से मशक्कत में हमारे कई साथी चोटिल भी हुए। सभी सितारों को सिनेमा हॉल की आगे की टूटी फूटी कुर्सियों पर ही हमने बैठाया था।   

  उल्लेखनीय है वर्ष 1987 तक गाजियाबाद जनपद में पत्रकारों की एक मात्र सक्रिय संस्था *गाजियाबाद जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन* थी। जिसके द्वारा हमने यह ऐतिहासिक  आयोजन किया । इसके बाद इसमें से *वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन बन गयी* और फिर मैंने इस संस्था का नाम *गाजियाबाद जर्नलिस्ट्स क्लब* कर दिया था। जिसके माध्यम से दो दशक से भी अधिक समय तक वर्ष में चार वृहद्ध कार्यक्रम किये जिसमें पत्रकारिता दिवस पर मेला होटल आरडीसी में दिवंगत पत्रकारों की स्मृति में पत्रकारों का सम्मान व संगोष्ठी, होली पर कविनगर में जीडीए आफीसर्स क्लब मैदान में होली मिलन समारोह, दीपावली पर चौधरी भवन में स्थानीय कवियों का सम्मान और कवि सम्मेलन तथा नववर्ष पर चौधरी भवन में ही स्थानीय शायरों का सम्मान और मुशायरा आयोजित करते थे। जब मैंने सक्रिय पत्रकारिता से विराम लिया तो यह आयोजन भी बंद कर दिए थे। फिर कोई इस तरह के आयोजन नहीं कर सका।