स्मृति शेष ओमप्रकाश सिंह भदौरिया की तृतीय पुण्यतिथि पर अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन

फर्रुखाबाद।  आरोग्य चेतना समिति के द्वारा आयोजित स्मृति शेष ओमप्रकाश सिंह भदौरिया की तृतीय पुण्यतिथि पर  उत्सव गेस्ट हाउस  में  आयोजित अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया व आनंद भदौरिया के संयोजन में किया गया।

 अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉ. शिव ओम अम्बर ने कवि सम्मेलन की अध्यक्षता की व संचालन बाजपुर उत्तराखंड से आये अंतरराष्ट्रीय कवि विवेक बादल बाजपुरी ने किया! कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्वलित कर किया गया! वैभव सोमवंशी 'सुभग' ने मां बागीश्वरी की वंदना पढ़कर कवि सम्मेलन प्रारम्भ किया ।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि डा. शिव ओम अंबर ने कार्यक्रम को अपना आशीष देते हुए कहा 

फांकों में भी मस्ती से जीते हैं,

बस्ती बस्ती फरियाद नहीं करते।

सच कहते हैं अथवा चुप रहते हैं,

हम अपने लफ्जों को बर्बाद नहीं करते।

 बाजपुर , उत्तराखंड से पधारे अंतरराष्ट्रीय युवा कवि विवेक बादल बाजपुरी ने अपने अंदाज में कुछ यों कहा

पग पग पर मेरे साथ वो स्तंभ से खड़े हैं,

पापा ने मुझे पगडंडी पर चलना सिखाया।

नेपाल से पधारे महाकाली साहित्य संगम के अध्यक्ष नेपाली और हिंदी दोनों भाषा में काव्यपाठ करते हुए  जीवन के यथार्थ को चित्रित करते हुए कहा 

हाथ मिले पांव चले, बोली मिली बचन मिला।

कला खिले गला मिले , ह्रदय की धड़कन मिले।

सब मिले महफिल जमें।

नेपाल से पधारे संगीतकार कवि लक्ष्मी प्रसाद भट्ट ने बांसुरी की धुन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया उन्होंने हिंदी और नेपाली में काव्य पाठ किया  आया है बसंत ऋतु छाई हरियाली,

महका गुलशन सारा खुश है हर डाली।

नेपाल से पधारेत्रिभुवन विश्व विद्यालय के उप प्राचार्य,कवि डा. मोहन प्रसाद पंत ने हिंदी ओर नेपाली में काव्य पाठ करते हुए सनातन पर कुछ यों सुनाया

सनातन सनातन सनातन सनातन,

सभी सभ्यताओं में यह है महानतम।

 अंतर्राष्ट्रीय कवि पंकज प्रकाश ने अपने गीत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया उन्होंने कुछ यों कहा

स्वप्न सारे कर दिये हैं मैने गंगा में प्रवाहित,

भाव सारे हो गये हैं एक भंवर में सब समाहित।

खटीमा,उत्तराखंड से पधारे कवि राम रतन यादव ने नें कुछ यों कहा 

 भारत का सारे जग में शुभनाम हो रहा है,

चंदा से चल के सूरज सुखधाम हो रहा है।

फतेहगढ़ की युवा कवित्री स्मृति अग्निहोत्री ने अपने गीत के माध्यम से समा बांधते हुए कहा 

 जरा कुछ अदब से हमें तुम निहारो

डरूं इस नजर से ये खोटी बहुत है

जिन्हे चाहते हो बने हमसफर ये

वो बहने ओ भाई जी छोटी बहुत हैं 

  रुद्रपुर उत्तरा खण्ड से पधारे कवि नवीन आर्या (नवी) वर्तमान परिवेश में कटाक्ष करते हुऐ कहा 

बड़े बड़े ओहदों पर हैं काबिज,

 सियासतदानों के वायदे कड़क नहीं।

मेरे इस शहर में मेट्रो तो है,

 पर गरीबों के लिए सड़क नहीं है 

 आगरा से पधारे कवि हरीश कुमार सिंह भदौरिया ने काव्य पाठ में कहा 

तुम ही हमारे जन्मदाता, तुम्हीं से है सब यहां,

अब शेष हैं यादें तुम्हारी,उन्हीं का अब आसरा।

पीलीभीत के कवि नीलेश कुमार ने सत्यता को उजागर करते हुऐ कहा 

सो गए हैं कृष्ण अब इनको न आवाज लगाओ,

यह सभा अब मौन है इनसे न आस लगाओ।

 फर्रुखाबाद के युवा कवि वैभव सोमवंशी 'सुभग'

ने कुछ यों सुनाया

देखो आज आदमी कितना व्यस्त हो गया,

ले एंड्रॉयड फोन उसी में मस्त हो गया।

बरेली से पधारे कवि राजीव गोस्वामी ने सुनाया 

मेरी जिंदगी ने एक नया ही मोड़ लिया,

उपनाम में मैंने पापा शब्द जोड़ दिया।

थोड़े ही दिनों में यह भूल रुलाने लगी,

मेरी पत्नी मुझे पापा कहकर बुलाने लगी।

डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया ने कहा - 

हम सर्प बिसैल पाले बैठे हैं,

गले में अजगर डाले बैठे हैं।

कब कौन यहां पर डस जाए,

हम प्रेम की बीन सम्हाले बैठे हैं।

डॉ शिव ओम अम्बर ने भारत और नेपाल के कवियों को एक मंच पर लाने और फर्रुखाबाद में प्रथम अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन कराने के लिए भदौरिया बंधुओं की प्रसंशा करते हुए मंच से  आशीर्वाद प्रेषित किया।

कार्यक्रम में डॉ. यश पाल सिंह चौहान, अनिल भदौरिया, डाक अधीक्षक डॉ.अरूण यादव, आनंद भदौरिया , कृष्ण कांत अक्षर, महेश पाल सिंह सोमवंशी उपकारी, बृज किशोर सिंह, सत्य पाल सिंह सोमवंशी, ज्योति स्वरूप अग्निहोत्री, संतोष पाण्डेय, राम औतार शर्मा इंदु, अनिल मिश्र,राम मोहन,मान सिंह, नरेन्द्र सिंह, शिवेंद्र, मनीष,  सुजीत प्रधान, राजेश बाजपेयी, तरुण प्रताप सिंह, शशि सिंह, संध्या सिंह, रवि प्रताप सिंह, सतेंद्र प्रताप सिंह, संतोषी सिंह, राहुल मिश्रा, दिलीप उत्तम, पुनीत यादव सहित नगर तथा बाहर के सैकड़ों लोग उपस्थित रहे!उक्त सूचना वरिष्ठ साहित्यकार नागेंद्र त्रिपाठी ने दी है।