गाज़ियाबाद। निःशुल्क एवम अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 ( आरटीई ) के तहत चयनित बच्चों को निजी स्कूलों को 25 प्रतिशत सीटो पर दाखिला देना होता है लेकिन इन स्कूलो में हर साल बच्चों के अभिभावको को दाखिले के लिये एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है उसके बाद भी हजारों बच्चे शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित रह जाते है शिक्षा को सभी वर्गों के लिये समान बनाने के लिए सविधान में 'शिक्षा का अधिकार' ( आरटीई ) को अलग से जगह दी गई ताकि देश का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह पाये सत्ता की एक बड़ी लाबी में शिक्षा माफियाओं एक छत्र वर्चस्व स्थापित होने के कारण प्रदेश में आरटीई के तहत चयनित बच्चों को दाखिला नही दिया जाता है निजी स्कूल खुलकर आरटीई का उलघ्न कर हर साल हजारों बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करते है लेकिन उसके बाद भी इन पर कोई कार्यवाई नही होती। केवल इनको नोटिस और चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। ये सरकार और अधिकारियों की बेबसी और लाचारी नही तो और क्या है। सरकारें इन निजी स्कूलों के प्रभाव के कारण आरटीई के दाखिलों को लेकर कोई जागरूकता अभियान भी नही चलाती है, जिसका उदाहरण आपको गाजियाबाद से मिल जाएगा।
जिले में सीबीएसई और आईसीएसई के 200 से भी ज्यादा निजी स्कूल है उसके बाद भी गरीब अभिभावको में जागरूकता के अभाव के कारण इस वर्ष पहले चरण में 3606 दूसरे चरण में 1703 तीसरे चरण में 506 और चौथे चरण में 26 बच्चो सहित कुल 5841 बच्चों का सूची में नाम आया लेकिन इन बच्चो में से अभी तक केवल 3296 बच्चों को दाखिला मिल पाया लगभग आधा शिक्षा सत्र की पढ़ाई बर्बाद होने के बाद आज भी 2500 से ज्यादा बच्चों के अभिभावक दाखिलों के लिए निजी स्कूलों और अधिकारियों के चक्कर लगाने के लिए मजबूर है और अगर प्रदेश की बात करे तो आरटीई के दाखिलों का यह आंकड़ा केवल 50 प्रतिशत तक ही पहुँच पाया है यहां एक बात पर गौर करना जरूरी है कि इन 3296 बच्चों के दाखिले के लिए भी गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन और अधिकारियों को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा । सोचने की बात यह है कि आखिर क्यों गरीब अभिभावको को अपने बच्चों को शिक्षा के लिए साल दर साल सघर्ष करना पड़ता है, जबकिं आरटीई अधिनियम 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा की गारंटी देता है आरटीई के तहत बच्चों के दाखिला कराने की पूर्ण जिम्मेदारी सरकार और उनके अधिकारियों की है अगर सही मायनो में आरटीई अधिनियम को प्रदेश में प्रभावशाली बनाकर गरीब बच्चों को शिक्षित करना है तो सरकार और उनके अधिकारियों को गंभीरता दिखाते हुये आरटीई के दाखिले नही लेने वाले स्कूलो पर ठोस कार्यवाई कर उदाहरण पेश करना होगा, जिससे कि प्रदेश का कोई भी निजी स्कूल आरटीई अधिनियम 2009 का उलंघन करने की हिमाकत नही कर सके । हम उम्मीद करते है कि प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी राइट टू एजुकेशन एक्ट को प्रदेश में सख्ती से लागू करा गरीब से गरीब बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिला पढ़ेगा "इंडिया तभी तो बढेगा इंडिया' और 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ " के नारे को धरातल पर चरितार्थ करेगे । सरकार के माध्य्म से देश के प्रत्येक बच्चे को सस्ती और सुलभ शिक्षा मुहैया कराने के लिए हमारा सघर्ष जारी रहेगा ।