हमारी संस्कृति मे तीर्थो की अपार महिमा है - नवनीत प्रिय दास

मुरादनगर( मनीष गोयल)। संस्कार उपवन परिवार के तत्वाधान में श्रद्धालुओं एक दल ने पावन चित्रकूट धाम की यात्रा की। 

इस अवसर पर संत नवनीत प्रिय दास ने कहा कि तीर्थो की हमारी संस्कृति में अपार महिमा है। चित्रकूट धाम ऐसा स्थान है जहां भगवान श्री राम ने अपने वनवास का सर्वाधिक समय व्यतीत किया। यहां के अनेक स्थान अत्यंत पावन व दर्शनीय है। मनुष्य का सर्वोच्च लक्ष्य भगवान को प्राप्त करना है। तीर्थ में जाकर भगवान के पावन नाम का जप करें। भगवान शंकर रामचरितमानस में कहते हैं कि भगवान का भजन ही सत्य है, जबकि जगत तो केवल सपना है। श्री चित्रकूट धाम भगवान राम की तपोस्थली है। यहां सतोगुण की अधिकता है। तीर्थ में जाकर सत्संग करें तो हमारा अवश्य ही कल्याण होगा, तीर्थ में किया हुआ भजन अन्य स्थानों की अपेक्षा कई गुना फलकारी है। चित्रकूट में माता अनुसूया द्वारा अपने तपोबल से प्रकट की गई मंदाकिनी नदी है जो गंगा के समान ही पुण्य देने वाली है। कामदगिरि पर्वत के दर्शन करने से सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं। यात्रा में सम्मिलित लोगों ने रात्रि में श्री सुंदरकांड का पाठ किया और दो दिन में चित्रकूट धाम के दर्शनीय स्थल गुप्त गोदावरी, अनसूया आश्रम, जानकी कुंड, रामघाट, श्रीराम शैया, भरत कूप, स्फटिक शिला, हनुमान धारा, जानकी महल आदि के दर्शन किए। इस अवसर पर अनिल गर्ग, आर के गोयल, डॉ संगीता महेश्वरी, विवेक गोयल, मानस मिश्रा, मोहित वार्ष्णेय, रामकिशन बंधु, राकेश मोहन गोयल, सचित गोयल, मंजुला, अलका आदि लोग उपस्थित रहे।