गाजियाबाद। जीपीए द्वारा निःशुल्क एवम अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1)(सी) के अंतर्गत दाखिले हेतु लाटरी में चयन के बाद भी चयनित बालक / बालिकाओं का निजी स्कूलों द्वारा लगभग 5 महीने बीत जाने के बाद भी दाखिले नही दिए जाने एवम माननीय इलाहाबाद हाइकोर्ट द्वारा 6 जनवरी 2023 को प्रदेश के निजी स्कूलों को कोरोना काल मे शिक्षा सत्र 2020-21 की 15 प्रतिशत फीस वापसी के आदेश को लागू कराने के मुद्दे को मुस्तैदी से उठाया जा रहा है। यहाँ अगर गोर की जाए तो दोनों ही मुद्दों पर शिक्षाधिकारियों एवम जिला प्रशासन का रुख बहुत ही उदासीन दिखाई पड़ता है क्योकि जहाँ आरटीई के चयनित बच्चों की लॉटरी को निकले हुये 5 महीने से भी ज्यादा का समय निकल गया, वही 15 प्रतिशत फीस वापसी के आदेश को आये भी लगभग 8 महीने हो चले है। जीपीए एवम अभिभावको द्वारा शासन , प्रशासन एवम शिक्षाधिकारियो को निजी स्कूलों की मनमानी की अनगनित शिकायत और धरना प्रदर्शन किया जा चुका है लेकिन अधिकारी है कि टस से मस होने के लिये तैयार नही है, बस कार्यवाई के नाम पर केवल नोटिस भेजने की बात कही जाती है लेकिन शासन , प्रशासन और कोर्ट के आदेशो का उलंघन करने वाले निजी स्कूलों पर प्रत्यक्ष रूप से आज तक किसी भी अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाई सुनिश्चित नही की गई। जिसके बाद गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन को राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग का रुख करना पड़ा दोनों ही गंभीर मुद्दों की शिकायत जीपीए द्वारा आयोग के चेयरमैन से की गई जिस पर आयोग ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुये गाजियाबाद के जिलाधिकारी से 10 दिन के अंदर जबाब मांगा है। वही जिला विद्यालय निरीक्षक को विषय पर गंभीरता दिखाते हुये 15 प्रतिशत फीस वापसी के आदेश को अनुपालन कराने के निर्देश दिए है अब देखना यह है कि जिले के जिलाधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक आयोग के पत्र पर कितनी गंभीरता दिखाते है।
आरटीई के दाखिले और 15% फीस पर बाल आयोग ने डीएम एवम डीआईओएस से मांगा जबाब