सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अपने रक्त से पत्र लिख कर महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी ने मांगा सत्य को सामने लाने का अवसर

गाज़ियाबाद।  शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने अपने रक्त से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा।उन्होंने यह पत्र सोशल मीडिया की उन खबरों के आधार पर लिखा है जिनसे उन्हें पता चला कि सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें अवमानना का नोटिस देते हुए उनके किसी बयान को सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में सर्वोच्च न्यायालय पर हुआ सबके क्रूर हमला बताया है।

रक्त से लिखे पत्र में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से यह पता चला है कि सर्वोच्च न्यायालय की ओर से उन्हें अवमानना का नोटिस जारी किया गया है।सोशल मीडिया से ही उन्हें पता चला है कि उन्होंने कभी मुसलमानो के नरसंहार का आह्वान किया था।ये दोनों ही बातें पूर्णतयः असत्य हैं।उन्होंने अपने जीवन मे कभी भी किसी न्यायालय की अवमानना नही की है और ना ही किसी प्रकार की हिंसा का समर्थन किया है।वो हिन्दू को न्याय के लिये न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका इन तीनो पर विश्वास नहीं करते।इसके लिये उनके पास कुछ ठोस कारण हैं।उन्होंने इस्लाम को मस्जिदों और मदरसों से सीखा है।वो अच्छी तरह से जानते हैं कि आज इस्लाम दुनिया और मानवता के साथ क्या कर रहा है।उन्होंने मोहम्मद के जीवन,उसकी पवित्र पुस्तक कुरान और इस्लाम के इतिहास को बहुत मेहनत के साथ पढा है।एक बात सबके संज्ञान में लानी अति आवश्यक है कि ये सब उन्होंने जिन पुस्तकों से पढा है,उनमें से एक भी पुस्तक हम हिन्दुओ ने नही लिखी थी।ये सारी पुस्तकें स्वयं मुसलमानों ने लिखी हैं।उन पुस्तकों से उन्होंने समझा है कि इस्लाम का पैगम्बर वास्तव में कौन और क्या था?उसकी वास्तविक शिक्षाएं क्या थी?आज सम्पूर्ण विश्व मे जो हो रहा है,इसमें मोहम्मद और उसकी शिक्षाओं की क्या भूमिका है?उन्होंने पूर्ण सत्यनिष्ठा के साथ यह सत्य सम्पूर्ण विश्व को बताने का प्रयास किया।केवल सत्य को सारी दुनिया के सामने रखने के कारण ही उनके कत्ल के लिये लाखो लाखो अपराधियों की भीड़ ने सार्वजनिक रूप से उनके कत्ल का आव्हान किया और देश के अलग अलग कोनो में उनकी हत्या के लिये खुलेआम बड़े बड़े पोस्टर और होर्डिंग्स लगवाए गए।देश की बड़ी बड़ी मस्जिदों में उनकी हत्या पर भारी भरकम इनाम घोषित किया गया।इन इनामो के कारण यह तय है कि जल्दी ही इस्लाम के पवित्र जिहादी उनकी हत्या कर देंगे।सम्पूर्ण राजनैतिक व्यवस्था, पुलिस प्रशासन के साथ न्यायपालिका इस तमाशे को देख रही है और इसका पूर्ण आंनद के रही है।आज जो कुछ उनके साथ हो रहा है,उससे हजारों गुना बुरा कई बार आजादी के बाद हिन्दुओ के साथ हुआ पर कभी भी ना तो हिन्दुओ की रक्षा हुई और ना ही कभी हिन्दुओ को न्याय मिला।आज स्थिति ये है कि भारत मे हिन्दुओ के सम्पूर्ण नरसंहार की योजनाएं पूर्ण होने वाली हैं।बढ़ती हुई जिहादियों की मारक जनसंख्या ने यह तय कर दिया है कि 2029 में भारत का प्रधानमंत्री कोई जिहादी होगा।अगर यह 2029 में किसी महान ईश्वरीय कृपा से नही हो पाया तो 2034 में हर हाल में होगा।उसके बाद भारत का हाल भी सीरिया,अफगानिस्तान, पाकिस्तान और इराक जैसा हो जाएगा और बहुत जल्दी भारत मे हिन्दुओ का समूल विनाश हो जाएगा।नेताओ, अफसरों,न्यायाधीशो,बड़े व्यापारियों के परिवार विदेशों में जाकर बस जाएंगे।आम हिन्दुओ के साथ वही होगा जो कश्मीर, पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित सभी मुस्लिम देशों में धार्मिक अल्पसंख्यको के साथ हुआ।ये ही मोहम्मद का आदेश है।मोहम्मद और उसकी पवित्र कुरआन में विश्वास रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति इस लक्ष्य को समर्पित है।उनका सारा दोष यही है कि वो इस सत्य को जान गए हैं और इस सत्य को सारी दुनिया को बता रहे हैं।वो ये भी जान गए हैं कि अब न्यायपालिका सहित कोई भी संस्था हिन्दुओ को बचाने के लिये कुछ भी नही कर सकती।सब जानते हैं कि वो सत्य बोल रहे हैं और सत्य बोलना कभी भी किसी की अवमानना नहीं हो सकता।अगर माननीय मुख्य न्यायाधीश उन्हें अवसर दे तो वो ऐसे हजार से अधिक मामले उनके संज्ञान में लाना चाहेंगे जो उनकी बातों की पुष्टि करेंगे।

पत्र लिखते समय उसके साथ यति रामस्वरूपनन्द, यति असीमानंद,अनिल यादव और डॉ उदिता त्यागी आदि भी उपस्थित थे।