सदगुरू ज्ञान देकर भक्त का कल्याण करते हैं - श्री सतपाल जी महाराज

मुरादनगर । गुरु पूजा पर्व पर मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में श्री हंस इण्टर कॉलेज प्रांगण में सतसंग प्रेमियों को संबोधित करते हुए दूसरे दिन मानव धर्म प्रणेता व सुविख्यात समाजसेवी श्री सतपाल जी महाराज ने कहा कि सद्गुरु ज्ञान देकर भक्त का कल्याण करते हैं।उन्होंने कहा कि हमारे देश में अनेक कथाएं हैं।राजा नृप की कथा आती है कि उन्होंने बूढ़ी गाएं दान कर दी तो उनको कुछ समय का नर्क भोगना पड़ा।एक पतंगा खाया और पाप बढ़ता गया,दूसरा पतंगा खाया और पाप बढ़ा। इस प्रकार पुण्य खत्म हो गए पाप बढ़ गया, जिस कारण उन्हें मुक्ति नहीं मिल सकी। मुक्ति के लिए पाप की संगत से बचकर सत्संग ,ध्यान जैसे सत्कर्म करने होंगे। मुक्ति पाने के लिए सद्गुरु से अध्यात्मज्ञान लेकर आत्मा का ध्यान करना पड़ेगा। 

श्री महाराज जी ने कहा कि आज मानव ही मानव को मार रहा है।रूस और यूक्रेन में कितना युद्ध हो रहा है।अन्य देशों की हालत को देखें तो आदमी का मन कितना अशांत है। अतः मन की शांति के लिए हमें अध्यात्म को अपनाना पड़ेगा तब ही विश्व में शांति स्थापित होगी।इसलिए अध्यात्म के लिए गुरू की जरूरत होती है। 

श्री महाराज जी ने एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि श्री हंस जी महाराज मुम्बई में सत्संग कर रहे थे तो एक विद्वान व्यक्ति को उपदेश कराया, वह बोला कि पहले हम केवल बोलते थे, समझते नही थे। लेकिन अब वह ज्ञान समझ में आया है।वह नाद जो अंदर सुनाई देता है, वह कॉस्मिक साउंड क्या है, उसे संतो ने अपने अंदर सुना। जिस प्रकार कछुआ अपने अंदर ही अंगो को समेट लेता है,ऐसे ही अभ्यास और वैराग्य से व्यक्ति अंतर्मुखी हो जाता है जिससे वह परमात्मा का अनुभव करते हुए माया के प्रहार से बच जाता है।

2 से 16 जुलाई तक चलने वाले वृक्षारोपण अभियान के तहत श्री महाराज जी की उपस्थिति में श्री सुयश रावत जी व श्रीमती मोहिना सिंह जी ने पौधारोपण किया। इस अवसर पर श्री महाराज जी ने वृक्षारोपण अभियान पर समिति को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज की परिस्थिति में वृक्षारोपण की नितांत आवश्यकता है,इससे कार्बन का उत्सर्ग होता है तथा वायुमंडल शुद्ध होता है।

समारोह में "महापुरुषों की अद्भुत लीला" नामक पुस्तक का विमोचन गुरू महाराज जी ने अपने कर कमलों से किया।

 समारोह में माता श्री अमृता जी ने कहा कि गुरु महाराज जी  हमारे बंजर भूमि जैसे ह्रदय में ज्ञान का बीज डालते हैं, हमे उसे सेवा, भक्ति पूर्वक अंकुरित करके अपना कल्याण करना चाहिए।

सत्संग से  पूर्व श्री महाराज जी,माता श्री अमृता जी व अन्य विभूतियों का माल्यापर्ण कर स्वागत किया।मंच संचालन महात्मा हरिसंतोषानंद जी ने किया।