नशा रूपी विष ज्योतिर्लिंग पर अर्पित कर व्यसनों को त्यागने का लें संकल्प - बंधु

मुरादनगर। श्रावण माह में हरिद्वार से गंगाजल लाकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करने हेतु काँवड़ यात्रा एक विशेष साधना है। भगवान शिव की आराधना के इस पर्व के दौरान व्यक्ति को अपना मनोबल साधने का सुअवसर मिलता है।

वरिष्ठ पत्रकार व शिक्षाविद रामकिशन बंधु ने कहा कि पूरी निष्ठा और सत्य संकल्पों के साथ इस पथ पर चलने वाले व्यक्ति की मनोकामना निश्चय ही पूर्ण होती है। योगीराज महादेव अद्भुत औधड-दानी है। उनकी उपासना को कभी भी सामान्य में नहीं लेना चाहिए। वर्तमान कुछ लोगो ने भगवान शिव को नशे की वस्तुओं का उपभोग करने से जोड़ दिया है, जबकि भोलेनाथ ने तो समुद्र मंथन से निकले विष को अपने कण्ठ में धारण कर समूची सृष्टि की रक्षा की थी। ऐसे योगी शिव पर भांग, धतूरा आदि अर्पण करने में सिर्फ यही संदेश है कि नशे रूपी विष तथा व्यसनों को मेरे ज्योतिर्लिंग पर अर्पित कर व्यसनों को त्यागने का संकल्प लें। आज समाज में तथा काँवड़ यात्रा के दौरान अनर्गल गीत प्रचलित है जैसे 'भोले भंग तिहारी मैं घोटत घोटत हारी", "पीकर एक बाल्टी भांग भोला यु नाचे"। ऐसे गीत समाज में हमारे आराध्य का उपहास का वातावरण ही पैदा करते हैं, भक्ति का नहीं। 

भगवान शंकर को प्रसन्न करना है तो श्रेष्ठता अर्जित कर नेकी का मार्ग चुने, यही सच्ची काँवड़ यात्रा होगी। साथ ही मन को प्रसन्नता भी मिलनी शुरू हो जाएगी।