‘वॉक-ए-दिल्ली’ का चौथा अध्याय संपन्न हुआ

 गाज़ियाबाद।  ‘वॉक-ए-दिल्ली’ का चौथा अध्याय संपन्न हुआ।इतिहास को साहित्य के साथ जोड़कर की जा रही इस क़वायद में एक साथ बहुत कुछ शामिल रहता है।आज की वॉक का विरासत स्थल क़ुतुब परिसर रहा।वॉक के संचालक डॉ आलोक पुराणिक व मनु कौशल ने क़ुतुब परिसर के इतिहास पर रोशनी डालते हुए अनेक रोचक तथ्यों से सहयात्रियों का परिचय कराया।डॉ पुराणिक ने बताया कि कुतुब सिर्फ मीनार नहीं है, बल्कि पूरी यात्रा है भारतीय इतिहास की। किस तरह वर्ष 1192 में तराईन के युद्ध में मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज  चौहान को हरा कर दिल्ली के तख़्त पर अपने एक विश्वासपात्र गुलाम क़ुतुबुद्दीन ऐबक को बिठा दिया।क़ुतुबुद्दीन को दिल्ली का प्रभारी बनाकर वह खुद अपने वतन लौट गया।वहाँ 1206 में उसकी मृत्यु हो जाने के बाद क़ुतुबुद्दीन ने खुद को हिंदुस्तान का सुल्तान घोषित कर दिल्ली सल्तनत की स्थापना की।उसके बाद उसका दामाद इल्तुमिश सुल्तान बना और फिर हिंदुस्तान के तख़्त पर पहली बार एक महिला रजिया सुल्तान का राज क़ायम हुआ।

गुलाम वंश के बाद ख़िलजी वंश ने दिल्ली पर शासन किया।गुलाम वंश का सबसे प्रभावशाली शासक अलाउद्दीन ख़िलजी था।उस से जुड़े हुए क़ुतुब परिसर में क़रीब पाँच स्मारक हैं।उनमें अलाई मीनार, अलाई दरवाज़ा, मदरसे के अतिरिक्त अलाउद्दीन की उपेक्षित सी कब्र भी मौजूद है।

बाद में तुग़लक़, सैय्यद व लोदी वंश के शासकों ने दिल्ली पर शासन किया।1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहीम लोदी को हराकर बाबर ने मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी।

    दास्तानगोई की एक नई शैली ईजाद करते हुए मनु कौशल ने बताया कि-कुतुब का खास साहित्यिक संदर्भ है-अमीर खुसरो ने कुतुब पर लिखा है, कुतुब से जुड़े कई बादशाहों से अमीर खुसरो जुड़े रहे है।अमीर खुसरो पिछले हजार सालों के महान कवियों में से एक हैं। मनु कौशल ने बताया कि-अमीर खुसरो ने सिर्फ कव्वाली और गीत नहीं लिखे, और बहुत मजे की बातें लिखी हैं, दिल्ली के करीब आधा दर्जन सुल्तानों के साथ काम किय़ा था अमीर खुसरो ने। जिंदगी को बहुत करीब से देखा, बेहतरीन कविताई के लिए तो अमीर खुसरो पिछले एक हजार साल के कवियों में अप्रतिम हैं।खुसरो साहब का कुतुब-कांपलेक्स से बहुत गहरा रिश्ता रहा है। खुसरो साहब ने कविता तो ऐतिहासिक की है, पर  इतिहास को कविता के अंदाज में लिखा है।अमीर खुसरो द्वारा रची गई दिलचस्प पहेलियों का जवाब देने वाले सहयात्रियों को पुरस्कार में चाकलेट दी गईं।इस तरह वॉक का सभी सहयात्रियों ने खूब आनंद लिया।दिल्ली के अलावा ग़ाज़ियाबाद से कवि प्रवीण कुमार व उनकी बेटी गरिमा कुमार भी इस अनूठी सैर में शामिल रहे।ग़ाज़ियाबाद में भी इस तरह की वॉक किए जाने पर विचार किया जा रहा है।