सदगुरु ही कराते हैं परमात्मा का अनुभव - सतपाल जी महाराज

मुरादनगर । स्थानीय सतलोक आश्रम में श्री हंस इंटरमीडिएट कॉलेज के प्रांगण में मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा गुरु पूजा के पर्व पर आयोजित सत्संग समारोह के प्रथम दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री व सुविख्यात समाजसेवी श्री सतपाल जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में गुरु का बहुत महत्व है इसलिए गुरु की वंदना की जाती है।शास्त्रों में कहा है गुरु ब्रह्मा हैं,वह ज्ञान में जन्म देते हैं, विष्णु की तरह पालन करते हैं और शिव के रूप में जो हमारे अंदर शंकाएँ होती हैं उनका समाधान होता है तो इसको त्रिमूर्ति मानकर गुरु की पूजा करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि सदगुरु ही परमात्मा का अनुभव कराते हैं, इसलिए गुरु पूजा पर्व पर गुरु की वंदना व पूजा की जाती है।

श्री महाराज जी ने आगे कहा कि  अक्सर लोग कहते हैं कि साहब! हम संसार में बदलाव चाहते हैं। दुनिया में परिवर्तन होना चाहिए। जो परिवर्तन तुम संसार में चाहते हो, वह सबसे पहले परिवर्तन आपके जीवन से शुरू होना चाहिए। अगर हमारे जीवन में परिवर्तन नहीं आता तो संसार में परिवर्तन क्या आएगा ।अगर हमने अपने जीवन को सुखमय नहीं बनाया, तो संसार को सुखमय  कैसे बनाएंगे ? हम तो संसार में समस्या बनकर खड़े हो जाएंगे। तो जो चेंजेज आप लाना चाहते हो, वह चेंजेज अपने अंदर से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के अंदर सद्भावना बनाकर रखनी है, ताकि हमारा देश मजबूत रहे। हम चाहते हैं कि हमारे घर के अंदर सद्भावना हो, हमारे नगर के अंदर सद्भावना हो, हमारे राज्य के अंदर सद्भावना हो, हमारे देश के अंदर सद्भावना हो, तभी हमारा देश मजबूत होगा देश को मजबूत करने के लिए सद्भावना चाहिए। इसलिए हम सदभावना का संदेश देते हैं।

श्री महाराज जी ने कहा कि हमारे संत - महानपुरुषों ने सभी धर्म ग्रंथों के माध्यम से यही समझाया है कि प्रभु का वास्तविक परिचय उनके सच्चे व्यापक नाम को जानने से ही प्राप्त होता है। जब  हमें देव दुर्लभ मानव शरीर मिला है, हमें इसमें परम प्रभु के सच्चे व्यापक नाम को समय के आत्मज्ञानी की शरण में जाकर जानना होगा। उसका निरंतर सुमिरन करेंगे तभी हमारा जन्म और मरण का चक्र कटेगा, छूटेगा। परमपिता परमात्मा का स्वरूप ही ज्योति स्वरूप है और वह सभी प्राणियों में निरंतर विद्यमान रहता है, उसके दर्शन के लिए हमें बाह्य दीपक,घी - बत्ती जलाने की जरूरत नहीं है, वह स्वयं प्रकाशमान परमात्मा है। ज्ञान प्राप्त करके और उसका ध्यान करके परमात्मा का अनुभव किया जा सकता है।

पर्यावरण की समस्या पैदा होने तथा वायु व जलवायु के दूषित होने तथा ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ रही बीमारियों को देखते हुए, श्री महाराज जी से प्रेरित मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा 2 जुलाई से 16 जुलाई तक एक वृक्षारोपण अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें अधिक से अधिक फलदार वृक्षों को रोपित किया जाएगा।

सत्संग से पूर्व श्री महाराज जी माता श्री अम्रता रावत जी व अन्य विभूतियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। सतसंग कार्यक्रम में अन्य संत - महात्माओं व विद्वानों ने भी अपने विचार रखे। मंच संचालन महात्मा हरिसंतोषानंद जी ने किया।