जीवन का परम लक्ष्य आत्मा का साक्षात्कार है - चंद्रेशकृष्ण शास्त्री जी

 गाजियाबाद । राजनगर एक्सटेंशन  स्थित राजनगर रेजिडेंसी सोसायटी में श्रीमद् भागवत पुराण कथा के दूसरे दिन अयोध्या से पधारे बाल व्यास आचार्य चंद्रेशकृष्ण शास्त्री जी ने कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मां के गर्भ में जीवात्मा कष्ट भोगते हुए भगवान से प्रार्थना करता है कि प्रभु आप मुझे इस नरक कुंड से बाहर निकाले, मैं आप का भजन और ध्यान करूंगा, अपने जीवन को सफल बनाने का प्रयास करूंगा। परंतु संसार में जीवात्मा जन्म लेने पर माया और मोह में फंसकर भगवान से किया हुआ वायदा भूल जाता है तथा अपना समस्त जीवन सांसारिक कर्मों में ही बिता कर संसार से विदा हो जाता है।उन्होंने कहा कि संत महात्मा कहते हैं कि हम यहां किराएदार की तरह हैं, जब तक हरि भजन में रहते हैं तब तक जीवन ठीक अन्यथा जीवन का कोई भरोसा नहीं , जीवन का परम लक्ष्य परमात्मा के श्री चरणों मैं प्रेम और आत्मा का साक्षात्कार है। 

श्री आचार्य जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि कुंती माँ ने भगवान से कहा कि दुख मेरे जीवन में कभी समाप्त न हो, क्योंकि जिस दुख में आपका साथ रहेगा तो सदैव आनंद की अनुभूति रहेगी। 

कार्यक्रम में रीना सिंघल जी, श्वेता सिंघल जी, रीता सिंह जी, इति गोयल जी ,रुचि अग्रवाल जी, नीतू गर्ग जी, मंजू गुप्ता जी, रंजना चौहान जी ,अंशिका सिंह जी, श्रद्धा शर्मा जी, अंजना सिंह जी ,मोनिका गुप्ता जी आदि का सहयोग रहा।

 संदीप सिंघल जी, विनीत गर्ग जी,मनोज गुप्ता जी, अंशु सिंह जी, प्रवीण गुप्ता जी, आकाश शर्मा जी ,मनोज अग्रवाल जी ,संजीव चौहान जी, संजीव गुप्ता जी ,आशुतोष शर्मा जी ,राहुल शर्मा पंडित जी, हरि प्रकाश त्यागी जी, राकेश त्यागी जी, विपुल त्यागी जी।कथा में शीतल जल व शीतल पेय शिकंजी की व्यवस्था एक सराहनीय प्रयास था।