कथा श्रवण से भगवान के प्रति प्रेम बढ़ता है - बाल व्यास आचार्य चंद्रेशकृष्ण शास्त्री जी

 गाजियाबाद । राजनगर एक्सटेंशन  स्थित राजनगर रेजिडेंसी सोसायटी में 6 जून से 12 जून तक श्रीमद् भागवत पुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है।13 जून को कथा के समापन पर हवन,सुंदरकांड का पाठ व भंडारा आयोजित होगा। आयोजन के प्रथम दिन स्थानीय निवासियों द्वारा कलश यात्रा निकाली गई जिसमें स्थानीय महिलाएं व पुरुष शामिल हुए। कथा के प्रथम दिवस पर अयोध्या से पधारे बाल व्यास आचार्य चंद्रेशकृष्ण शास्त्री जी ने कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भक्ति महारानी पहले हृदय में सफाई करती है, काम ,क्रोध ,मोह , अहंकार हटाती है तब स्वयं विराजमान होती है और प्रभु को बुलाती है। उन्होंने कहा कि जब बहुत जन्मों के पुण्य संग्रहित होते हैं तब भगवान सत्संग की प्राप्ति करा देते हैं। 

कथावाचक ने धुंधकारी व गोकर्ण का उदाहरण सुनाते हुए कहा कि धुंधकारी चोरी,व्यभिचार में लिप्त था, उसके पाप इतने बढ़ गए कि एक दिन कुछ वेश्याओं ने धुंधकारी की हत्या कर दी। मरणोपरांत धुंधकारी की आत्मा चारों दिशाओं में भटकने लगी, जब इसका ज्ञान गोकर्ण को हुआ तब ऋषि-मुनियों से विचार विमर्श के पश्चात श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराया गया, कथा में धुंधकारी की आत्मा को आमंत्रित किया गया। धुंधकारी ने सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा का तन्मयता से श्रवण किया, जिसके कारण कथा समापन पर स्वर्ग से देवदूत एक विमान लेकर आए और धुंधकारी की आत्मा को स्वर्ग में स्थान दिलाया। उन्होंने कहा कि एकाग्रता से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने की महिमा अद्भुत है, भगवान का प्रेम पाने के लिए, भक्ति पाने के लिए यदि कथा का अनुष्ठान करते हैं, तब सद्गति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है,इसमें कोई संदेह नहीं है।कथा में श्रद्धालुओं ने संगीतमयी भजनों का आनंद लिया।

कार्यक्रम में संदीप सिंघल जी, विनीत गर्ग जी,मनोज गुप्ता जी, अंशु सिंह जी, प्रवीण गुप्ता जी, आकाश शर्मा जी ,मनोज अग्रवाल जी ,संजीव चौहान जी, संजीव गुप्ता जी ,आशुतोष शर्मा जी ,राहुल शर्मा पंडित जी, हरि प्रकाश त्यागी जी, राकेश त्यागी जी, विपुल त्यागी जी।

 कलश यात्रा में रीना सिंघल जी, श्वेता सिंघल जी, रीता सिंह जी, इति गोयल जी ,रुचि अग्रवाल जी, नीतू गर्ग जी, मंजू गुप्ता जी, रंजना चौहान जी ,अंशिका सिंह जी, श्रद्धा शर्मा जी, अंजना सिंह जी ,मोनिका गुप्ता जी आदि का सहयोग रहा।