श्रीमद भागवत पुराण से भक्तिमयी हुई राजनगर रेजीडेंसी

गाज़ियाबाद।  राजनगर रेजिडेंसी सोसायटी में श्रीमद् भागवत पुराण कथा के पांचवे दिन कथावाचक अयोध्या से पधारे बाल व्यास आचार्य चंद्रेशकृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि श्रद्धालुओं के प्रेम और सहयोग के परिणाम स्वरूप यह कथा कार्यक्रम साधारण से दिव्य रूप लेता जा रहा है। राजनगर रेजिडेंस में हो रही कथा में वातावरण से अभिभूत होकर उन्होंने कहा कि अभी तो स्थानीय मंदिर का निर्माण कच्चा है लेकिन शीघ्र ही यहां एक भव्य मंदिर होगा और तब उसमें ऐसे ही कथा होगी और आप जैसे श्रोतागण होने से ऐसा लगता है यहां वृंदावन जैसा ही उत्साह और उल्लास पूर्ण भक्तिमयी वातावरण होगा। अगले वर्ष 2024 में भी भागवत कथा का आयोजन 6 जून को ही होगा, सभी को आनंदित करने वाली यह सूचना भी कथाकार महोदय ने दी। भगवान श्री कृष्ण जी की लीलाओं का वर्णन करते हुए एक प्रसंग में बताया कि एक बार जब यशोदा माता कन्हैया को रस्सी से बांध रही थी, तब बार-बार रस्सी छोटी पड़ रही थी जैसे भगवान कह रहे हो जब हम चाहेंगे तभी आप हमें बांध पाओगे।उन्होनें कहा कि कथा सुनाना ,कथा में आना,कथा सुनना यह सब उस सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा की शक्ति और कृपा का ही परिणाम है। 

गोकुल से वृंदावन प्रस्थान की बात कहते हुए वृंदावन प्रवेश से पहले वृंदावन धाम की अद्भुत महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि घर-घर तुलसी, ठाकुर सेवा ही वृंदावन की विशेषता है। वृंदावन में कंस द्वारा भेजी अनेकानेक राक्षस शक्तियां आई, भगवान ने सभी को परास्त किया और जन-जन को भयमुक्त किया। कालिया नाग के प्रभाव से यमुना जी का जल विषाक्त हो गया था, भगवान ने विषाक्त जल सेवन से गौ माता का कष्ट देखकर निश्चय किया कि कालिया नाग का कुछ उपाय करना ही होगा, श्री कृष्ण गेंद खेलने लगे और यमुना जी में कूद गए और कालिया नाग के पास पहुंच गए,सौ फन के कालियानाग पर भगवान ने नृत्य किया और यमुना जी को कालिया नाग और उसके विष से मुक्त किया। कालियानाग पर नृत्य करते हुए और बंसी बजाते हुए भगवान ने ऊपर आकर सभी को आनंदित किया। गोपिकाओं की आत्माएं तो रास में गई पर शरीर से अपने घर पर ही थी ऐसा भागवत में स्पष्ट लिखा है।कथा वाचक ने आगे कहा कि गोवर्धन पूजा के लिए भगवान ने सभी को समझाया और इंद्र की पूजा रुकवा दी , इंद्र को जब पता लगा तब इंद्र ने नाराज होकर भारी वर्षा करनी शुरू कर दी, सभी ने भगवान से कहा, श्री कृष्ण ने भगवान गोवर्धन से बात की और सभी से कहा कि गोवर्धन उठाओ स्वयं कनिष्ठ उंगली पर 7 दिन तक उठाए रखा ग्राम वासियों को लगा कि हम सब संभाल लेंगे, कन्हैया से आराम करने को कहा परंतु भगवान की जरा सी उंगली हटने पर पर्वत डगमगाने लगा, तब इंद्र ने क्षमा मांगी तभी से प्रति वर्ष गोवर्धन पूजा होने लगी।

कार्यक्रम में रीता सिंह जी, मंजू गुप्ता जी, रीना सिंघल जी,अंशिका सिंह जी, श्रद्धा शर्मा जी, अंजना सिंह जी ,मोनिका गुप्ता जी,रंजना चौहान जी,श्वेता सिंघल जी,इति गोयल जी ,रुचि अग्रवाल जी,एकता गुप्ता जी,अंशु सिंह जी, विनीत गर्ग जी,संदीप सिंघल जी,मनोज गुप्ता जी, प्रवीण गुप्ता जी, पवनेश सिंघल जी,आकाश शर्मा जी ,मनोज अग्रवाल जी ,संजीव चौहान जी,आशुतोष शर्मा जी ,राहुल शर्मा पंडित जी, हरि प्रकाश त्यागी जी, विपुल त्यागी जी,राकेश त्यागी जी आदि का सहयोग रहा।