भगवान के भजन से ही सांसारिक कामनाएं समाप्त होती - महात्मा श्री हरिसंतोषा नंद जी

गाजियाबाद। मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में पटेल नगर स्थित 'माता राजेश्वरी आश्रम में महान सत्संग समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें आध्यात्मिक गुरु व सुविख्यात समाजसेवी श्री सतपाल जी महाराज के आत्मानुभवि शिष्य पूज्य महात्मा श्री हरिसंतोषानंद जी ने कहा कि सांसारिक सुखों के प्रति कामनाएं मनुष्य को अशांत करती हैं,कामनाओं को समाप्त करने के लिए भगवान का भजन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान के भजन का ज्ञान सत्संग के माध्यम से होता है,सत्संग से तत्ववेत्ता सद्गुरु मिलते हैं वही हमें आत्मा की अनुभूति कराकर हमारी साधना पूर्ण करते हैं। 

महात्मा जी ने आगे कहा कि भगवान के नाम का सुमिरन जब हम बार बार अभ्यास करेंगे तो अंत समय में हमें भगवान का नाम ही याद आएगा। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा है कि अंत समय में जो मेरे नाम का सुमिरन करते हुए शरीर त्यागता है वह मुझे ही प्राप्त करता है मतलब उसका मोक्ष हो जाता है। उसका  बार बार जन्म मरण नही होता। अंत मे महात्मा जी ने कहा कि समय के महापुरुष की शरण में जाकर हमें आत्मज्ञान को लेकर भजन करना चाहिए । इसी से हमारा कल्याण संभव है। 

समारोह में सेवक श्री आकाश जी, गाज़ियाबाद आश्रम प्रभारी पूज्य महात्मा दीपांजलि बाईजी व सेविका निधि दीदी ने भी वेद शास्त्र व रामायण के आधार पर सारगर्भित अपने विचार रखे। सत्संग से पूर्व पूज्य महात्मा जी व बाई जी का प्रेमिभक्तों द्वारा माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।

 सत्संग के पश्चात आश्रम में सभी प्रेमी भक्तों को कढ़ी चावल का प्रसाद वितरित किया। मंच संचालन श्री जगदीश कुमार जी ने किया। 

 कार्यक्रम को सफ़ल बनाने में शाखा आश्रम के कार्यकर्ता व मानव सेवा दल के पदाधिकारी श्री सुनील कुमार जी, श्री जगदीश कुमार जी, श्री रामदास जी, श्री धनपाल जी व स्वयंसेवक में श्री जितेन्द्र पाल, श्री स्वामी नाथ जी, श्री गिरीश जी एवं संस्था के वरिष्ठ कार्यकत्ताओं में श्री राम नरेश जी, श्री चन्द्र शेखर गुप्ता जी, श्री राम चरण जी,श्री मदन गोपाल जी, श्री देशराज जी, श्रीमति संगीता पाल जी, श्रीमति बिर्जेश जी, श्रीमति सुनीता जी, श्रीमति ऊषा जी एवं यूथविंग के सभी युवा साथियों में श्वेता शर्मा, श्वेता वशिष्ठ, सविता, शालू, शिवानी, मीनाक्षी, शिवांग, अंकित, शिवेश, हिमांशु, कौशल आदि थे।