गाज़ियाबाद। 12-मई आते आते प्रिय प्रशांत वत्स का स्मरण विशेष रूप से होने लगता है।भारतीय संस्कृति में विधान है कि स्वर्गवासी आत्मीय जनों को उनकी वार्षिक पुण्य तिथि पर विशेष रूप से स्मरण करना चाहिए।सन् -2021 में दिनांक 12 मई वैशाख शुक्ल प्रतिपदा थी।लेकिन , यह आवश्यक नहीं कि तिथि और दिनांक हर वर्ष एक ही दिन हों , क्योंकि दिनांक का निर्णय अंग्रेजी कैलेण्डर द्वारा होता है और तिथि का निर्णय भारतीय पंचांग द्वारा किया जाता है।इस कारण इन दोनों में बहुधा 10-20 दिन का अंतर हो जाता है।इस वर्ष भी ऐसा ही हुआ है।पुण्य तिथि वैशाख शुक्ल प्रतिपदा (21अप्रेल) और पुण्य दिवस -12मई में 20 दिन का अंतर हो गया।इस वर्ष पुण्य दिवस -12मई संयोगवश बढ़ मावस(ज्येष्ठ अमावस्या) के निकट आगया।
बड़मावस का पर्व , जैव प्रजातियों को आश्रय देने वाले , जड़ों से सर्वाधिक जल संचयन करने वाले " वटवृक्ष "के संरक्षण के संकल्प का पर्व है।विंघ्यांचल पार के क्षेत्रों में यह पर्व ज्येष्ठ पूर्णिमा को संपन्न किया जाता है।
ज्येष्ठ अमावस्या से लेकर ज्येष्ठ पूर्णिमा तक 15 - दिवसीय पखवाड़े में सम्पूर्ण भारत ग्रीष्म ऋतु का चरमोत्कर्ष अनुभव करता है।ऐसे में बरगद (वटवृक्ष) जैसे विशाल छायादार वृक्षों की आवश्यकता स्पष्ट होने लगती है।
अतः , पर्यावरण योद्धा स्व.प्रशांत वत्स द्वारा स्थापित पर्यावरण समर्पित संस्था " संवर्धन ट्रस्ट " गाज़ियाबाद द्वारा निर्णय लिया गया कि इस अवसर पर " बरगद बचाओ पखवाडा़ " अभियान का संचालन किया जाए।प्रस्तावित अभियान में वटवृक्ष के महत्व को रेखांकित करने हेतु , जनसाधारण से अपेक्षा है कि निकट के किसी विशाल वटवृक्ष के साथ सेल्फी लेकर विभिन्न समूहों में प्रेषित किया जाए।